आ जा आ जा भंवर-रानी रूपमती १९५७
ज़रूर वाकिफ होंगे. मालवा क्षेत्र में बसे मांडू का किला आज भी इस
कहानी की याद दिलाता है. मांडू किसी समय बहुत समृद्ध और बड़ा
शहर हुआ करता था. इस प्रेम कहानी का अंत भी अन्य प्रसिद्ध
कहानियों की तरह दुखांत ही हुआ.
भारत भूषण और निरुप रॉय अभिनीत फिल्म रानी रूपमती सन १९५७
में प्रगट हुई फिल्म है. इसमें गीत लिखे भारत व्यास ने और संगीत
दिया श्रीनाथ त्रिपाठी उर्फ एस. एन. त्रिपाठी ने.
फिल्म देखने वाला इतिहास ज़ल्दी समझता है फिल्म देख के. कुछ गुनी
और ज्ञानी किताबों की ख़ाक छान के समझते हैं, बचे हुए रिसर्च कर के.
सबका अपना तरीका है समझने का.
गीत काफी कसरती किस्म का है जहाँ तक गायकी का सवाल है. ऐसे
मधुर गीतों का जिक्र नहीं होता सयानों के म्युझिक रिव्यू वगैरह में.
फिल्म का निर्देशन भी एस एन त्रिपाठी ने किया है.
गीत के बोल:
छोड़ चला क्यूँ निर्मोही
कैसा तेरा प्यार
रो रो करे पुकार कामिनी
बीती जाए बहार
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
हो ओ आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
न सता रे आ रे आ रे
मोरी अँखियाँ उदासी
तोरे दरस की प्यासी
पल पल छिन छिन देखें राह तिहारी
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
हो ओ आ
गुन गुन धुन सुन सुन तेरी हरजाई
तन मन की रे मैंने सुध बिसराई
गुन गुन धुन सुन सुन तेरी हरजाई
तन मन की रे मैंने सुध बिसराई
हरजाई आ जा
आ जा भंवर सूनी डगर
आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
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Aa ja aa ja bhanwar-Rani roopmati 1957
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