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Feb 25, 2017

फूल बगिया में बुलबुल बोले-रानी रूपमती १९५७

रानी रूपमती से एक मधुर युगल गीत सुनते हैं. आपने अनेकों
लता और रफ़ी के युगल गीत सुने होंगे. सबसे ज्यादा रफ़ी-लता
के युगल गीत बनाये लक्ष्मी प्यारे ने, फिर शंकर जयकिशन का
नंबर आता है. तीसरे नंबर पर कल्याणी आनंदजी हैं और चौथे
नंबर पर नौशाद.

एस एन त्रिपाठी ने केवल ७ युगल गीत बनाये दोनों के मगर
उनमें से ३-४ बेहद लोकप्रिय हैं. जनम जनम के फेरे का गीत
हो या फिल्म नादिर शाह का गीत, पुराने गीतों के रसिकों को
आज भी याद हैं.

प्रस्तुत गीत भारत व्यास का लिखा हुआ है. इसे परदे पर गा
रहे हैं निरुप रॉय और भारत भूषण.
       



गीत के बोल:

हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
हो जी हो
फूल बगिया में बुलबुल बोले
डाल पे बोले कोयलिया
प्यार करो
प्यार करो रुत प्यार की आई रे
भंवरों से कहती हैं कलियाँ
हो जी हो हो जी हो
हो जी हो हो जी हो

हो जी हो हो जी हो
हो जी हो हो जी हो
हो जी हो हो जी हो
प्यार तो है तलवार की धार जी
प्यार की मुश्किल हैं गलियां
प्यार में राधा बांवरी बन गई
रटते रटते सांवलिया

जो प्यार करते जग से ना डरते
प्रेमी अगन में पलते हैं
दीपक के तन में लौ की लगन में
लाखों पतंगे जलते हैं
जाने करे कुर्बान हिरन जब
गीत की बाजे बंसुरिया

प्यार करो
प्यार करो रुत प्यार की आई रे
भंवरों से कहती हैं कलियाँ
प्यार में राधा बांवरी बन गयी
रटते रटते सांवलिया

कौन करेगा प्रीत यहाँ जब
कोई किसी का मीत नहीं
प्रीत भरा संगीत नहीं तो
प्यार की जग में जीत नहीं
तार बजे जब बीना के तब
प्यार की बाजे पायलिया

प्यार करो
प्यार करो रूत प्यार की आई रे
भंवरों से कहती हैं कलियाँ
प्यार में राधा बांवरी बन गयी
रटते रटते सांवलिया
हो जी हो हो जी हो
हो जी हो हो जी हो
हो जी हो हो जी हो
……………………………………………………..
Phool bagiya mein bulbul bole-Rani Roopmati 1957

Artists: Bharat Bhushan, Nirupa Rai

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Sep 28, 2015

आ जा आ जा भंवर-रानी रूपमती १९५७

रानी रूपमती और बाज बहादुर की ऐतिहासिक प्रेम कहानी से आप
ज़रूर वाकिफ होंगे. मालवा क्षेत्र में बसे मांडू का किला आज भी इस
कहानी की याद दिलाता है. मांडू किसी समय बहुत समृद्ध और बड़ा
शहर हुआ करता था. इस प्रेम कहानी का अंत भी अन्य प्रसिद्ध
कहानियों की तरह दुखांत ही हुआ.

भारत भूषण और निरुप रॉय अभिनीत फिल्म रानी रूपमती सन १९५७
में प्रगट हुई फिल्म है. इसमें गीत लिखे भारत व्यास ने और संगीत
दिया श्रीनाथ त्रिपाठी उर्फ एस. एन. त्रिपाठी ने. 

फिल्म देखने वाला इतिहास ज़ल्दी समझता है फिल्म देख के. कुछ गुनी
और ज्ञानी किताबों की ख़ाक छान के समझते हैं, बचे हुए रिसर्च कर के.
सबका अपना तरीका है समझने का.

गीत काफी कसरती किस्म का है जहाँ तक गायकी का सवाल है. ऐसे
मधुर गीतों का जिक्र नहीं होता सयानों के म्युझिक रिव्यू वगैरह में.
फिल्म का निर्देशन भी एस एन त्रिपाठी ने किया है.





गीत के बोल:


छोड़ चला क्यूँ निर्मोही
कैसा तेरा प्यार
रो रो करे पुकार कामिनी
बीती जाए बहार
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
हो ओ आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
न सता रे आ रे आ रे

मोरी अँखियाँ उदासी
तोरे दरस की प्यासी
पल पल छिन छिन देखें राह तिहारी
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
हो ओ आ

गुन गुन धुन सुन सुन तेरी हरजाई
तन मन की रे मैंने सुध बिसराई
गुन गुन धुन सुन सुन तेरी हरजाई
तन मन की रे मैंने सुध बिसराई
हरजाई आ जा
आ जा भंवर सूनी डगर
आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
सूना है घर आ जा
आ जा आ जा भंवर सूनी डगर
..................................................................
Aa ja aa ja bhanwar-Rani roopmati 1957

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Jul 17, 2011

झननन झन झननन झन बाजे पायलिया-रानी रूपमती १९५९

आपको फिल्म रानी रूपमती से कानों की कसरत करवाने वाला
एक और मधुर गीत सुनवाते हैं. ये लता और रफ़ी का गाया युगल
गीत है जिसे भारत भूषण और निरूपा राय पर फिल्माया गया है.
भारत व्यास के बोल है और श्रीनाथ त्रिपाठी का संगीत है. विडियो
में आपको मांडू की ऐतिहासिक इमारतें दिखाई देंगी.






गीत के बोल :


अमिय हलाहल मदभरे श्वेत श्याम रतनार
जियत मरत झुकि झुकि परत जेहि चितवत एक बार

झननन झन झननन झन झननन बाजे पायलिया
झननन झन झननन झन झननन बाजे पायलिया
पिया से मिलन चली आज कामिनिया
झननन झन झननन झन झननन बाजे पायलिया
झननन झन झननन झन झननन

ओ ओ ओ ओ ओ
रात अन्धेरी डर लागे रसिया
रात अन्धेरी डर लागे रसिया
पास कैसे आऊँ तोरे मनबसिया
पपीहा बोले
पपीहा बोले अम्रित घोले जियरा डोले हौले हौले हौले
झननन झन झननन झन झननन बाजे पायलिया
झननन झन झननन झन झननन बाजे

सज सिंगार कोई नार नवेली
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
सज सिंगार कोई नार नवेली
निडर डगर में चली है अकेली
ऋतु बसन्त आई अलबेली
डार डार बोले कारी कोयलिया
झननन झन झननन झन झननन बाजे पायलिया
झननन झन झननन झन झननन

ल : ओ ओ ओ ओ ओ
प्यार जगा है देखो कण कण में
प्यार जगा है देखो कण कण में
रास रसा है मन मधुबन में
बजे मंजीरे
बजे मंजीरे जमुना तीरे मैं तो चली रे धीरे धीरे धीरे
झननन झन झननन झन झननन बाजे पायलिया

झननन झन झननन झन झननन बाजे
बाजे पायलिया
झनन झन झन बाजे पायलिया
झनन झनन बाजे पायलिया
झन झन बा झन झन बा झन झन बा
आ आ आ आ आ आ आ
झनन झनन झनन झनन बाजे
झनन झनन झनन झनन बाजे
झनन झनन झनन झनन बाजे

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
बा आ आ आ आ जे
बा आ आ आ आ जे
बा आ आ आ आ जे
हा आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
झननन झन झननन झन झननन बाजे
....................................
Jhananan jhan baaje-Rani Roopmati 1957

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बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी-रानी रूपमती १९५७

आइये गायकी का आनंद उठाया जाए। गीत के आनंद और
गायकी के आनंद में फर्क है। गायकी में बोल सुरीले हो सकते
हैं और नहीं भी। अभिनेता अभिनेत्री हो या ना हों, कोई फर्क नहीं
पढता। गायकी का मज़ा या तो किसी शास्त्रीय संगीत के दिग्गज
की आवाज़ में मिलता है या फिर मन्ना डे के गायन में मिलता
है। यहाँ परदे पर कृष्ण राव चोनकर नाम के शास्त्रीय संगीत के
गायक आपको दिखाई देंगे जो हमारे हीरो को गायन सिखा
रहे हैं। इस गीत में आवाज़ कृष्ण राव चोनकर और रफ़ी की है।

ऐसे गायन को हम उप-शास्त्रीय संगीत में शामिल कर सकते हैं
जो ना तो पूरा फ़िल्मी है ना पूर्ण रागदारी का हिस्सा।





गीत के बोल:

आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ
हा आ आ आ आ आ

बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
हे ऐ ऐ ऐ ऐसो है बेदर्दी बनवारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
हे ऐ ऐ ऐ मोहे बेदर्दी बनवारी
ऐसो है निडर डरत न काहूँ से लंगर
ऐसो है निडर डरत न काहूँ से लंगर
अपने धिंगा धिंगी करत है डगर
हे मोरे राम, हे मोरे राम, हे मोरे राम

बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी

इतने दिनन में मोसे कबहूँ न अटक्यो
हा आ आ आ आ आ ,
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
बाट चलत
इतने दिनन में मोसे कबहूँ न
आ आ आ, आ आ आ, आ आ आ आ आ आ आ
हा आ आ आ आ आ
बाट चलत
इतने दिनन में मोसे कबहूँ न अटक्यो
नित प्रति जात गलिन में सुबह शाम
आवत फागुन इतरात जात दे-दे तारी
हे मोरे राम, हे मोरे राम, हे मोरे राम

बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नई चुनरी रँग डारी रे
चुनरी रँग डारी रे, चुनरी रँग डारी रे,
चुनरी रँग डारी रे, चुनरी रँग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी
बाट चलत नयी चुनरी रंग डारी

ध, प म ग रे सा नी सा, रे ग म प ध प,
ध प, म ग, रे सा, सा ग रे म सा म ग
म ध नी ध म ग, म ध नी सा, आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ

बाट चलत नयी
हा आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
बाट चलत नयी
हा आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
बाट चलत नयी
हा आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
..........................................
Baat chalat nayi chunri-Rani Roopmati 1957

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Jan 12, 2011

आ लौट के आ जा मेरे मीत-रानी रूपमती १९५९

मुकेश की आवाज़ में एक गीत सुनिए जिसे ना जाने कितनी
बार सुना होगा मैंने। इस दर्द भरे गीत का आकाशवाणी से
विशेष नाता रहा है और इसे लगभग सभी गीतों के कार्यक्रम
में नियमित रूप से बजाय जाता रहा। पिछले गीत से मुझे ये
गीत याद आया। भारत भूषण इस गीत में भी आपको दिखाई देंगे
बस फर्क गायक की आवाज़ का हो गया है। पिछला गीत रफ़ी की
आवाज़ में था। ऐतिहासिक और पौराणिक फिल्मों के लिए अभिनेता
भारत भूषण भी एक पसंद हुआ करते थे फिल्म निर्माताओं की। गीत
लिखा है कविवर भारत व्यास ने और धुन है एस एन त्रिपाठी की।



गीत के बोल:

लौट के आ, लौट के आ
लौट के आ , लौ के आ

आ लौट के आ जा मेरे मीत
आ लौट के आ जा मेरे मीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

आ लौट के आ जा मेरे मीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

मेरा सूना पड़ा रे संगीत
मेरा सूना पड़ा रे संगीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

आ लौट के आ जा मेरे मीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

आ लौट के आ जा मेरे मीत

बरसे गगन मेरे बरसे नयन
देखो तरसे है मन अब तो आ जा
बरसे गगन मेरे बरसे नयन
देखो तरसे है मन अब तो आ जा
शीतल पवन लगाये अगन
ओ सजन अब तो मुखड़ा दिखा जा
शीतल पवन लगाये अगन
ओ सजन अब तो मुखड़ा दिखा जा

तूने भाली रे निभाई प्रीत
तूने भाली रे निभाई प्रीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

आ लौट के आ जा मेरे मीत

एक पल है हँसना एक पल है रोना
कैसा है जीवन का खेला
एक पल है हँसना एक पल है रोना
कैसा है जीवन का खेला
एक पल है मिलना एक पल बिछड़ना
दुनिया है दो दिन का मेला

ये घडी ना जाए बीत
ये घडी ना जाए बीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

आ लौट के आ जा मेरे मीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

मेरा सूना पड़ा रे संगीत
मेरा सूना पड़ा रे संगीत
तुझे मेरे गीत बुलाते हैं

आ लौट के आ जा मेरे मीत

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