गूगल के हाल ही में मिले प्रेम पत्र से हम इतने अभिभूत हैं कि
ब्लॉग लिखने की इच्छा ही खत्म हो गयी है.
एडसेंस अपना अपार
प्रेम प्रदर्शित करता रहा है समय समय पर.
इस बार जो प्रशस्ति प्रदान की गयी है वो है- डिसेप्टिव साईट
नेविगेशन जिसका आशय समझ पाना टेढ़ी खीर है. मेरे ख्याल
से इसे समझने से अच्छा है कि चवन्नी-अठन्नी के मोह से
छुटकारा पा लिया जाए. इससे ज्यादा धन तो मंदिर के बाहर
कटोरा लेकर खड़े होने पर प्राप्त हो जाता है. उसमें नेट पैक की
ज़रूरत नहीं पढ़ती, आँखें नहीं फोडना पढ़ती और न ही कम्प्युटर
वगैरह काम आता है. केवल लयबद्ध तरीके से बक बक करो
और इनाम पाओ.
आज आपके लिए एक गीत पेश है फिल्म बारूद से जो सन
१९६० की फिल्म है.
गीत के बोल:
तेरी दुनिया में नहीं कोई हमारा अपना
बेसहारों को ज़रा दे दे सहारा अपना,
दे दे सहारा अपना
तेरी दुनिया में नहीं कोई हमारा अपना
बेसहारों को ज़रा दे दे सहारा अपना,
दे दे सहारा अपना
दिल के मंज़र में निगाहों में उजाले हैं तेरे
तेरी गोदी के ये बच्चे हैं जो पाले हैं तेरे
तू ही हिम्मत दे चाहने वाले हैं तेरे
तू ही अपने ले हमें गाते हैं तेरी रचना
बेसहारों को ज़रा दे दे सहारा अपना,
दे दे सहारा अपना
रोज लेते हैं तेरा नाम लिए जाते हैं
प्यास लगती है तो आंसू ही पिए जाते हैं
हम बुरे ही सही लेकिन तेरे कहलाते हैं
तू दया की है नदी तू है किनारा अपना
बेसहारों को ज़रा दे दे सहारा अपना,
दे दे सहारा अपना
रूप लाखों हैं तेरे तू कोई मजबूर नहीं
कोई ज़र्रा नहीं जिसमें के तेरा नूर नहीं
अपने बन्दों से किसी हाल में तू दूर नहीं
तू दूर नहीं
तूने हर काम जो बिगाड़ा वो संवारा अपना
बेसहारों को ज़रा दे दे सहारा अपना,
दे दे सहारा अपना
तेरी दुनिया में नहीं कोई हमारा अपना
बेसहारों को ज़रा दे दे सहारा अपना,
दे दे सहारा अपना
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Teri duniya mein nahin
koi-Barood 1960
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