मुहब्बत में ऐसे क़दम–अनारकली १९५३
में से एक है अनारकली. सी रामचंद्र के संगीत ने तहलका
सा मचा दिया था. इस फिल्म के बाद सी रामचंद्र शायद
वैसा करिश्मा रिपीट नहीं कर पाए और उनका कैरियर भी
ढलान की ओर अग्रसर हो गया. वैसे बात की जाए तो सन
१९५९ की फिल्म नवरंग के गीत भी सुपरहिट गीत रहे किन्तु
अनारकली के गाने तो लाजवाब हैं.
गौरतलब है इस फिल्म के लिए पहले संगीतकार बसंत प्रकाश
को अनुबंधित किया गया था और उन्होंने गीता दत्त की आवाज़
में एक गाना रिकॉर्ड भी किया जो फिल्म के एल्बम पर मौजूद
है.
सी रामचंद्र के लिए ४ गीतकारों ने गीत लिखे. आज सुनिए एक
राजेंद्र कृष्ण का लिखा गीत. एक समय मदिरा प्रेमियों को ये गीत
बेहद पसंद हुआ करता था, आज का पता नहीं.
गीत के बोल:
मेरी तकदीर मुझे आज कहाँ लायी हैं
शीशा शीशा जहाँ मेरा ही तमाशाई हैं
मुझे इल्ज़ाम न देना मेरी बेहोशी का
मेरी मजबूर मुहब्बत की ये रुसवाई है
मुहब्बत में ऐसे क़दम डगमगाये
ज़माना ये समझा के हम पी के आये
जिसे काम हो रात दिन आँसूओं से
उसे हुक़्म ये है हंसे और हंसाये
ज़माना ये समझा के हम पी के आये
किसी की मुहब्बत में मजबूर होकर
हम उन तक तो पहुँचे, वो हम तक न आये
ज़माना ये समझा के हम पी के आये
वो जिनके लिये ज़िंदगानी लुटा दी
ये बैठे हुए हैं मेरा दिल चुराये
ज़माना ये समझा के हम पी के आये
छुपोगे कहाँ तक नज़र तो मिलाओ
तुम्हारी बला से मेरी जान जाये
ज़माना ये समझा के हम पी के आये
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Mohabbat mein aise kadam-Anarkali 1953
Artists: Beena Rai,
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