May 31, 2016

मन के खज़ाने में माया ही माया-तीन चोर १९७३

आपको एक बिछड़े गीत से मिलवाया था कुछ दिन पहले
सपन जगमोहन का-फिल्म दोराहा से. आज आपको ७० के
दशक के पूर्वार्ध से एक और बिछड़ा गीत सुनवाते हैं जिसे
मैंने लगभग सन ८३ तक आकाशवाणी पर सुना है. उसके
बाद ये कहीं खो सा गया. भजन जैसा गीत है ये.

जिन गीतों ने मेरे मानस पर असर किया ये उनमें से एक
है. वे गीत जिन्हें सुन के उथल पुथल होती है ऐसा कुछ है
पहली बार जब सुना था इसे तब इसमें महिला मंडल की
अलग सी आवाज़ ने मेरा ध्यान आकृष्ट किया था. उसके
बाद तो इसके बोलों और रफ़ी की गायकी ने मुझे इस गीत
का फैन बनाया. हालाँकि सोनिक-ओमी ने इसे ऊंचे स्केल
पर गवाया है और इसके पहले अंतरे का संगीत थोडा लाउड
है.

सोनिक ओमी ने जो बेहतर गीत ऊंची पट्टी पर रफ़ी से गवाया
वो है महुआ का गीत-दोनों ने किया था प्यार. उल्लेखनीय
है महुआ के बाकी गीत पट्टी के थोड़े शांत वाले हिस्से में आते
हैं और कर्णप्रिय हैं.

इस गीत के साथ दो कृष्ण जुड़े हैं-मनमोहन कृष्ण जो इसे परदे
पर गा रहे हैं और दूसरे राजेंद्र कृष्ण जिन्होंने इस गीत को
लिखा है. गौरतलब है पूजा भी मुरलीवाले की ही हो रही है.
मनमोहन कृष्ण के साथ परदे पर सुलोचना लटकर और अभिनेत्री
ज़ाहिदा दिखाई दे रहे हैं. फिल्म के शीर्षक अनुसार तीन
चोर भी इस गीत में आपको दिखाई देंगे-जीवन, ओम प्रकाश और
आई एस जौहर.



गीत के बोल:

मन के खजाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले, हरिओम
मन के खजाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले, हरिओम

दिखाई न दे जो अँधेरे में ताला
तू ज्योति लगन की जला ले
हो, तू ज्योति लगन की जला ले
दिखाई न दे जो अँधेरे में ताला
तू ज्योति लगन की जला ले
हो, तू ज्योति लगन की जला ले
हे, अगर हाथ कांपें तो हरि नाम ले कर
तू पूजा की कोपी लगा ले
हाँ, तू पूजा की चाबी लगा ले
डराती है क्यूँ तुझे अपनी ही छाया
तेरा ही धन है ये नहीं है पराया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले, हरिओम
कॉपी मत कर
मन के खजाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले, हरिओम


कभी हार दाता की होती नहीं है
न जीता कभी लेने वाला
हो न जीता कभी लेने वाला
कभी हार दाता की होती नहीं है
न जीता कभी लेने वाला
हो न जीता कभी लेने वाला
हे, भरेगी न तेरी ये तृष्णा की झोली
थकेगा न वो देने वाला
हाँ, थकेगा न वो देने वाला
उसी ने बनायीं है तेरी ये काया
काया में भक्ति का धन है छुपाया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले, हरिओम

मन के खजाने में माया ही माया
जब भी तू चाहे इसे लूट ले
जब भी तू चाहे इसे लूट ले, हरिओम
................................................................
Manke khazane mein maya-Teen chor 1973

Artists on screen- Manmohan Krishna, Jeevan, IS Johar, Om Prakash, Sulochana Latkar, Zahida

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP