नि सुल्ताना रे-प्यार का मौसम १९६९
यूँ सुनना शुरू किया था-निज़ुल्ताना रे प्यार का मौसम
आया. वो तो बाद में सयानों ने कुढ़ कर हमें बतलाया
कि गाना है-नि सुल्ताना रे........ खैर इस गीत के रोचक
बात ये है गीत के शुरू में एक वार्तालाप चल रहा है
नायक नायिका में. नायिका पूछती है-तुम अपने आप
को क्या मोहम्मद रफ़ी समझते हो, जवाब में नायक भी
पूछता है-तुम क्या अपने आप को लता मंगेशकर समझती
हो. ये गीत रफ़ी-लाता ने ही गाया है. हीरो हीरोईन ने तो
खाली अपने होंठ और शरीर हिलाए हैं गीत पर.
फिल्म एक सफल फिल्म मानी जाती है और इसके गीत
बेहद लोकप्रिय गीतों में गिने जाते हैं. नासिर हुसैन की
फिल्मों का संगीत उम्दा हुआ करता था. गीत लिखा है
हिंदी फिल्मों के एक स्तंभ और नामी शायर मजरूह ने
और इसका संगीत तैयार किया है एक अलग ही ट्रेंड के
साथ चलने वाले संगीतकार आर डी बर्मन ने.
गीत के बोल:
ओ नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
अरे हाय रे हरी-हरी छाया
बोलो न बोलो मुख से गोरी चूड़ी तुम्हरी बोले हे
यही बतियां सुन-सुन के जिया मोरा डोले
नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
मिल जाए मोरे सैयां जब तेरी बैया
फिर घनी छैया मै मचल के गाऊ
सुन जा करू बिना जब मिले चैना
तब हँसे नैना जब तुझे मै पाऊ
पिया मोरा जिया तुझी से लागा
हो जिए कोई कैसे यही बता जा
बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
सावन आया आजा सावन आया आ जा
ओ नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
अरे हाय रे हरी-हरी छाया
बोलो न बोलो मुख से गोरी चूड़ी तुम्हरी बोले हे
यही बतियां सुन-धुन के जिया मोरा डोले
ओ नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
हो बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
सावन आया आ जा
सावन आया आ जा
सावन आया आ जा
ओ नि सुल्ताना रे हे
नि सुल्ताना रे ऐ ऐ
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Ni Sultana re-Pyar kamausam 1969
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