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Jan 16, 2020

आप चाहें मुझको-प्यार का मौसम १९६९

आम आदमी की भाषा में कहें तो ये गीत उस श्रेणी
में आता है-नायिका का भाव खाना. अजब गज़ब सी
श्रेणियाँ बन जाती हैं गीतों की जिन्हें देख के अलज़ेबरा
की श्रेणियाँ भी शर्मा जाएँ.

सुनते हैं फिल्म प्यार का मौसम से एक गीत जिसे
लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी ने राहुल देव बर्मन की
धुन के लिए और इसे गाया है लता मंगेशकर ने.

गीत में विलायती हेलन को धता बताने के लिए नायिका
और उसकी टोली यकायक प्रकट हो जाती है और माहौल
का देसीकरण हो जाता है.



गीत के बोल:

आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहो में

हाय रे गरूर आपका
सूझे मुझे भी दिल्लगी
हो ओ ओ मैं जो एक दिन तुम्हारी
बेतुकी अदा पे हंस पड़ी
तुम समझे मैं मरती हूँ तुमपे
तुम समझे मैं मरती हूँ तुमपे
आपकी समझ को क्या कहूँगी

आ आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में

हो तुम किस ख्याल में
अरे पूजते है सब यहाँ मुझे
हो ओ ओ देखूं सूरत तुम्हारी
फुरसत ही कहा मुझे
ये भी जानो एहसान मेरा
ये भी जानो एहसान मेरा
एक बार भी जो देख लूं जी

आ आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
……………………………………………
Aap chahen mujhko-Pyar ka mausam 1969

Artists: Asha Parekh, Shashi Kapoor

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Jun 24, 2016

नि सुल्ताना रे-प्यार का मौसम १९६९

ये एक बेहद लोकप्रिय युगल गीत है जिसे हमने कुछ
यूँ सुनना शुरू किया था-निज़ुल्ताना रे प्यार का मौसम
आया. वो तो बाद में सयानों ने कुढ़ कर हमें बतलाया
कि गाना है-नि सुल्ताना रे........ खैर इस गीत के रोचक
बात ये है गीत के शुरू में एक वार्तालाप चल रहा है
नायक नायिका में. नायिका पूछती है-तुम अपने आप
को क्या मोहम्मद रफ़ी समझते हो, जवाब में नायक भी
पूछता है-तुम क्या अपने आप को लता मंगेशकर समझती
हो. ये गीत रफ़ी-लाता ने ही गाया है. हीरो हीरोईन ने तो
खाली अपने होंठ और शरीर हिलाए हैं गीत पर.

फिल्म एक सफल फिल्म मानी जाती है और इसके गीत
बेहद लोकप्रिय गीतों में गिने जाते हैं. नासिर हुसैन की
फिल्मों का संगीत उम्दा हुआ करता था. गीत लिखा है
हिंदी फिल्मों के एक स्तंभ और नामी शायर मजरूह ने
और इसका संगीत तैयार किया है एक अलग ही ट्रेंड के
साथ चलने वाले संगीतकार आर डी बर्मन ने.



गीत के बोल:

ओ नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
अरे हाय रे हरी-हरी छाया
बोलो न बोलो मुख से गोरी चूड़ी तुम्हरी बोले हे
यही बतियां सुन-सुन के जिया मोरा डोले
नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया

बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
मिल जाए मोरे सैयां जब तेरी बैया
फिर घनी छैया मै मचल के गाऊ
सुन जा करू बिना जब मिले चैना
तब हँसे नैना जब तुझे मै पाऊ
पिया मोरा जिया तुझी से लागा
हो जिए कोई कैसे यही बता जा
बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
सावन आया आजा सावन आया आ जा

ओ नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया
अरे हाय रे हरी-हरी छाया
बोलो न बोलो मुख से गोरी चूड़ी तुम्हरी बोले हे
यही बतियां सुन-धुन के जिया मोरा डोले

ओ नि सुल्ताना रे प्यार का मौसम आया

हो बलम बबुआ बेदर्दी सावन आया आ जा
सावन आया आ जा
सावन आया आ जा
सावन आया आ जा
ओ नि सुल्ताना रे हे
नि सुल्ताना रे ऐ ऐ
...........................................................................................
Ni Sultana re-Pyar kamausam 1969



Artists- Shashi Kapoor, Asha Parekh

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May 27, 2016

मैं न मिलूंगी नज़र हटा लो-प्यार का मौसम १९६९

प्यार का मौसम एक म्यूजिकल हिट फ़िल्म है। पोस्ट लिखते
समय ये तय करना मुश्किल होता है “थी” या “है” लिखा जाए.
थी-से मतलब उस ज़माने की हिट फिल्म थी, और “है” से मतलब
जिसे जनता आज भी सुपरहिट मानती है. जब तक ‘प्यार का
मौसम’ फिल्म के मुरीद हैं तब तक हम “है” शब्द का इस्तेमाल
करते हैं.

जैसा कि आप जानते हैं नासिर  हुसैन की फ़िल्म में आशा पारेख
जरूर मौजूद हुआ करती थीं, बस हीरो बदलते रहते थे । फिल्म
में शशि कपूर हीरो हैं. फिल्म में संगीतकार आर डी बर्मन भी
छोटी सी भूमिका में हैं. फिल्म में हीरो के सहायक को अंग्रेजी
में ‘साइडकिक’ कहा जाता है. नासिर हुसैन के फ़िल्मी कथानकों
में इनकी भरमार है.

फिल्म का मुख्य मसाला तो दो पीढ़ियों के प्रेम प्रसंग हैं, साथ में
फ़िल्मी सलाद और फ़िल्मी पकवान बहुत से हैं. गति ज़रूर फिल्म
की बदलती रहती है, कुछ तो ज्यादा गीत होने की वजह से. आज
इस फिल्म से लता मंगेशकर का गाया एक गीत सुनिए. 




गीत के बोल:

हो मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो
मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो
हुंह हँसेगी मेरी पायल दिलवालों
अरे हँसेगी मेरी पायल दिलवालों
हो मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो
अरे  हँसेगी मेरी पायल दिलवालों

काहे पे ऐ ऐ ऐ झूले हो
अरे बेमौसम हूँ हूँ हूँ फूले हो
आये हो क्या कुछ पी के
क्यूँ तुमको सुरूर इतना है
राम ही जाने तुमको काहे पे गुरूर इतना है

मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो
हो मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो
अरे हँसेगी मेरी पायल दिलवालों
हो हँसेगी मेरी पायल दिलवालों

दिल के हो ओ ओ ओ तुम काले
अरे बनते हो ओ ओ ओ दिलवाले
दूर से देखो मुझको या संग मेरे अब झूमो
बैठ मेरी राहों में या मेरे कदम को चूमो
मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो
मैं ना मिलूंगी नज़र हटा लो
हुंह हँसेगी मेरी पायल दिलवालों
अरे हँसेगी मेरी पायल
......................................................................
Main na miloongi-Pyar ka mausam 1969

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Feb 13, 2010

ना जा मेरे हमदम- प्यार का मौसम १९६९

नासिर हुसैन की इस फिल्म में बढ़िया फ़िल्मी मसाले थे।
संपूर्ण मनोरंजन का वादा था शायद। इस चर्चित फिल्म
के थोड़े ग़मगीन लम्हों में से एक है ये गीत जो नायिका
(आशा पारेख) गीत गा रही हैं फिल्म के नायक(शशि कपूर)
के लिए। नायक गिटार अपने कंधे पे रखे हाथ में सूटकेस
लिए चला जा रहा है(गीत के अंत में वापस आने के लिए)।
लता मंगेशकर के गाये इस गीत की धुन बनाई है संगीतकार
आर डी बर्मन ने। बोल मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे हैं।



गीत के बोल:

ना जा,ना जा, ना जा
हो हो ओ ओ
ना जा, ना जा
हो हो ओ ओ, हो हो ओ ओ

ना जा ओ मेरे हमदम
ना जा ओ मेरे हमदम
सुनो वफ़ा की पुकार
छोड़ के मेरा प्यार

ना जा ओ मेरे हमदम

मैं अकेली हूँ ज़माने में
मेरी दुनिया से जाओ ना
मेरे होंठों को हंसी दे के
हंसी हंसी में रुलाओ ना
गयी बातों को भुला भी दे ओ मेरे सनम

ना जा ओ मेरे हमदम
सुनो वफ़ा की पुकार
छोड़ के मेरा प्यार

ना जा ओ मेरे हमदम

तेरे दिल की उदासी को
जुल्फों से महका दूँगी
तेरी सूनी सूनी बाँहों में
गोरा मुखड़ा सजा दूँगी
अब आयेंगे जो लौट के तेरे कदम

ना जा ओ मेरे हमदम
सुनो वफ़ा की पुकार
छोड़ के मेरा प्यार

ना जा ओ मेरे हमदम

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