Aug 9, 2016

हमें उन राहों पर चलना है-मासूम १९६०

सुबीर सेन और आरती मुखर्जी का गाया एक गीत सुनते हैं
जिसमें कोरस का भी गायन है. राजा मेहँदी अली खान के
लिखे गीत की तर्ज़ बनाई है रॉबिन बैनर्जी ने. सन १९६०
की फिल्म मासूम का निर्देशन सत्येन बोस ने किया था.
फिल्म में सरोष ईरानी, हनी ईरानी, मनमोहन कृष्ण, मोहन
चोटी, केष्टो मुखर्जी, चमन पुरी जैसे कलाकार हैं.

सत्येन बोस ने इससे पहले सन १९५४ में बच्चों वाली फिल्म
बनायीं थी जागृति जो काफी चर्चित रही और उस फिल्म के
गीत तो आज भी आप सुन सकते हैं.सन१९५४ की ही एक
फिल्म के लिए उन्होंने संगीतकार शैलेश को मौका दिया था
जिन्हें बाद में सवेरा फिल्म का संगीत तैयार करने का भी
अवसर मिला. बोस ने रोबिन बैनर्जी से केवल यही फिल्म
मासूम करवाई. ७० के दशक में बोस की अधिकांश फिल्मों
में लक्ष्मी-प्यारे का संगीत है.

इस गीत में सुबीर सेन का उच्चारण काफी हद तक साफ़ है.
उनसे काफी रिहर्सल कराई होगी संगीत निर्देशक ने इस गीत
के लिए अन्यथा वो ‘दुर मेरी मंज़िल’ और ‘दिल हुआ घायिल’
जैसा कुछ गाते. तब भी ‘इन’ और ‘उन’ शब्दों का मिश्रण
है गीत में.



गीत के बोल:

हमें उन राहों पर चलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम है दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना है

हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है

जब तक न लगन हो सीने में
बेकार है ऐसे जीने में
जब तक न लगन हो सीने में
बेकार है ऐसे जीने में
चढ़ना है हमें चंदा की तरह
सूरज की तरह नहीं ढ़लना है

हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम हैं दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है

मैं पास रहूँ या दूर रहूँ
ये बात अभी तुम से कह दूँ
मैं पास रहूँ या दूर रहूँ
ये बात अभी तुम से कह दूँ
हँसना ही नहीं फूलों की तरह
दीपक की तरह हमें जलना है

हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम है दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है

आकाश से आती है ये सदा
ग़म आए अगर तो जी न ढला
आकाश से आती है ये सदा
ग़म आए अगर तो जी न ढला
कभी ग़म हैं यहाँ कभी हैं ख़ुशियाँ
हर हाल में हम को पलना है

हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
हम है दिये औरों के लिये
जिन्हें तूफ़ानों में जलना है
हमें उन राहों पर चलना है
जहाँ गिरना और संभलना है
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Hamen un rahon par-Masoom 1960

Honey Irani, Sarosh Irani, Manmohan Krishna

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