जो मैं होता एक टूटा हुआ-छुपा रुस्तम १९७३
ज्यादा हलचल नहीं मचाई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर.
संगीत प्रेमियों को ज़रूर इसके गीत याद होंगे. इस फिल्म से
आपने एक गीत सुना था पहले जो देव आनंद और हेमा पर
फिल्माया गया था. अब देखते और सुनते हैं दूसरा गीत जो
विजय आनंद और बिंदु पर फिल्माया गया है.
कुछ गीत चटपटे होते हैं और कुछ गीत अटपटे. प्रस्तुत गीत
दोनों के बीच में झूलता सा प्रतीत होता है. विजय आनंद
अपने गीतों के फिल्मांकन के लिए जाने जाते थे. वे गीत जो
दूसरों पर फिल्माए जाते थे. खुद उन पर फिल्माए गए गीत
मुझे समझ कम आये. यू-ट्यूब पर जनता शायद लिहाज के
मारे इस गीत की जबरन तारीफ़ कर रही है, हम भी वाह
वाह कर देते हैं और कारण ढूंढते हैं इसके एक gem होने का.
गीत विजय आनंद ने लिखा है और ये शौक उनको कब लगा
इस बारे में कहीं उल्लेख नहीं मिला अभी तक. संगीतकार को
इस गीत को कम्पोज करने में पसीना ज़रूर आया होगा. इसे
देख कर अक्षय कुमार पर फिल्माए गए कुछ गीत याद आने
लगे हैं मुझे.
गीत में एक बात ज़रूर बढ़िया है वो है कार के बोनट पे डांस.
ऐसा प्रतीत होता है किसी विलायती फिल्म से कोई पात्र हिंदी
फिल्म के फ्रेम में आ कूदा हो. वो तो नायिका को देख कर
दर्शक इस भरोसे पर कायम रहता है कि वो हिंदी फिल्म का
गाना ही देख रहा है.
गीत के बोल:
जो मैं होता एक टूटा हुआ तारा तेरी रातों का
रातों का, तो क्या होता
जो मैं होती एक कोई भटकी किरण उस तारे की
उस तारे की, तो क्या होता
बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग
जो मैं होती उड़ी-उड़ी नींदें तेरी आँखों की
आँखों की, तो क्या होता
जो मैं होता मीठा-मीठा सपना उन नींदों का
नींदों का, तो क्या होता
बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग
जो मैं होता क़िस्मत का लिखा तेरे हाथों का
हाथों का, तो क्या होता
जो मैं होती छुपा छुपा मतलब तेरी बातों का रे
तेरी बातों का रे, तो क्या होता
बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग
बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग
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Jo main hota-Chhupa rustam 1973
Artists: Vijay Anand, Bindu
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