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Aug 23, 2016

जो मैं होता एक टूटा हुआ-छुपा रुस्तम १९७३

एक फिल्म है छुपा रुस्तम जो सन १९७३ में आई थी. कुछ
ज्यादा हलचल नहीं मचाई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर.
संगीत प्रेमियों को ज़रूर इसके गीत याद होंगे. इस फिल्म से
आपने एक गीत सुना था पहले जो देव आनंद और हेमा पर
फिल्माया गया था. अब देखते और सुनते हैं दूसरा गीत जो
विजय आनंद और बिंदु पर फिल्माया गया है.

कुछ गीत चटपटे होते हैं और कुछ गीत अटपटे. प्रस्तुत गीत
दोनों के बीच में झूलता सा प्रतीत होता है. विजय आनंद
अपने गीतों के फिल्मांकन के लिए जाने जाते थे. वे गीत जो
दूसरों पर फिल्माए जाते थे. खुद उन पर फिल्माए गए गीत
मुझे समझ कम आये. यू-ट्यूब पर जनता शायद लिहाज के
मारे इस गीत की जबरन तारीफ़ कर रही है, हम भी वाह
वाह कर देते हैं और कारण ढूंढते हैं इसके एक gem होने का.

गीत विजय आनंद ने लिखा है और ये शौक उनको कब लगा
इस बारे में कहीं उल्लेख नहीं मिला अभी तक. संगीतकार को
इस गीत को कम्पोज करने में पसीना ज़रूर आया होगा. इसे
देख कर अक्षय कुमार पर फिल्माए गए कुछ गीत याद आने
लगे हैं मुझे.

गीत में एक बात ज़रूर बढ़िया है वो है कार के बोनट पे डांस.
ऐसा प्रतीत होता है किसी विलायती फिल्म से कोई पात्र हिंदी
फिल्म के फ्रेम में आ कूदा हो. वो तो नायिका को देख कर
दर्शक इस भरोसे पर कायम रहता है कि वो हिंदी फिल्म का
गाना ही देख रहा है.



गीत के बोल:

जो मैं होता एक टूटा हुआ तारा तेरी रातों का
रातों का, तो क्या होता
जो मैं होती एक कोई भटकी किरण उस तारे की
उस तारे की, तो क्या होता

बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग

जो मैं होती उड़ी-उड़ी नींदें तेरी आँखों की
आँखों की, तो क्या होता
जो मैं होता मीठा-मीठा सपना उन नींदों का
नींदों का, तो क्या होता

बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग

जो मैं होता क़िस्मत का लिखा तेरे हाथों का
हाथों का, तो क्या होता
जो मैं होती छुपा छुपा मतलब तेरी बातों का रे
तेरी बातों का रे, तो क्या होता

बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग
बनते संग संग, मिटते संग-संग
जीते संग संग, मरते संग-संग
.......................................................................
Jo main hota-Chhupa rustam 1973

Artists: Vijay Anand, Bindu

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Jan 20, 2015

नैना मेरे रंग भरे-ब्लैकमेल १९७३



इसे महज़ सन्योग नहीं कह सकते कि विजय आनंद की
फिल्मों का संगीत अतिरिक्त माधुर्य लिए होता है. विजय
आनंद ने अपनी अलग हट के पहचान बनाई एक कला
प्रेमी फिल्म निर्देशक की. यहाँ कला से तात्पर्य संगीत
और नृत्य कला से है. वैसे पटकथा चयन के मामले में
भी वे अपने समकालीनों से बीस साबित हुए हैं अधिकतर.
इस फिल्म की कहानी और पटकथा उन्हीं की देन है.

पसंद अपनी अपनी ख्याल अपना अपना. बहुत कम लोगों
को ये बात मालूम होगी कि निर्मताका दखल भी होता था
कई चीज़ों में. निर्माता विनोद दोषी की पिछली फिल्म
सच्चा झूठा में कल्याणजी आनंदजी का संगीत था और वो
फिल्म का संगीत बहुत कामयाब हुआ. उन्होंने शायद बिना
हिचक इस फिल्म के लिए भी कल्याणजी-आनंदजी को चुना.
ये ज़रूर है विजय आनंद ने संगीतकार से वो सारे पापड
बिलवा लियेजिसके लिए वो जाने जाते हैं. परिणाम आपके
सामने है-इस फिल्म के सारे गाने सुने गए और तबियत से
सुने गए.

प्रस्तुत गीत बेहद कर्णप्रिय और करुण गीत है. नायक द्वारा
संदेह की दृष्टि से देखे जाने फलस्वरूप आहात नायिका अपने
आप को इस गीत के ज़रिये व्यक्त कर रही है. गीत की खूबी
है कि इसमें नायक के मुखमंडल पर भी कातरता और ग्लानि
के भाव दर्शाये गए हैं. आपको पहले इस फिल्म के जो तीन
गीत सुनवाए थे वो इधर मौजूद  हैं- मिलेमिले दो बदन



गीत  के बोल:

हो ओ ओ ओ ओ नैना मेरे रंग भरे सपने तो सजाने लगे
क्या पता प्यार की शम्मा जले न जले
हो ओ ओ ओ ओ नैना मेरे रंग भरे सपने तो सजाने लगे

आयेंगे वो आयेंगे मैं सोच सोच शरमाऊँ
क्या होगा क्या न होगा मैं मन ही मन घबराऊँ
आज मिलन हो जाए तो समझूं दिन बदले मेरे,
हो ओ ओ ओ नैना मेरे रंग भरे सपने तो सजाने लगे
क्या पता प्यार की शम्मा जले न जले

जानू न मैं तो जानू न रूठे रूठे पिया को मनाना
बिंदिया ओ मेरी बिंदिया मुझे प्रीत की रीत सिखाना
मैं तो सजन की हो ही चुकी वो क्यूँ न हुए मेरे
हो ओ ओ ओ ओ नैना मेरे रंग भरे सपने तो सजाने लगे
क्या पता प्यार की शम्मा.....

कजरा मेरा कजरा मेरी अंखियों का बन गया पानी
टूटा दिल टूटा मेरी तड़प किसी ने न जानी
प्यार में राही एक परछाई हाथ लगे न मेरे ,
हो ओ ओ ओ ओ 
.......................................................
naina mere rang bhare-Blackmail 1973

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