दिल मचल रहा है-खलीफा १९७६
में बढ़िया दिखाई देती थीं. उनमें से एक है रेखा. कायापलट
के पहले भी उनकी ऊर्जा स्तर का मुकाबला कम अभिनेत्रियां
कर पाती थीं. ये गीत उनके कायापलट वाले दौर से पहले
का है और इस गीत के आनंद में भी कोई कमी नहीं है. जो
कसर है वो रणधीर कपूर पूरी किये दे रहे हैं अपने कॉमिक
लुक्स से.epic. आज सुनते हैं अपने काम का गीत. इस गीत
को आज तक मैंने कम से कम २५० बार तो सुन ही लिया
होगा. कभी गिनती नहीं लगाई मगर एक गीत है-अंधे जहाँ
के अंधे रास्ते-इसे ४५० बार से ऊपर सुना है. आपको अब
पागलपन का अंदाजा हो ही गया होगा. ‘तिनकों के नशेमन’
का आंकड़ा तो १००० पार हो चुका है. अब गीत भी आपको
कौन सा सुनवा रहे हैं आज-दिल मचल रहा है. मचलेगा ही
ये तो, गीत भी गुलशन के एक बावरा जी ने लिखा है तो इसे
सुनने वाले भी बावरे होंगे ही. गाने का मीटर अजीब सा है
और इसी बात ने मुझे आकृष्ट किया था इसकी ओर. अंतरे
की पंक्तियाँ काफी लंबी हैं.
इस गीत को मैंने काफी पहले सुना था तकरीबन ७७ में पहली
बार ढंग से. फिल्म हालांकि सन १९७६ में रिलीज़ हुई थी. उस
समय गीत सुनने का एक जरिया रेकोर्ड प्लयेर हुआ करता था
और इस फिल्म के गीतों का ई पी(छोटा रेकोर्ड) एक जगह
टेंट हाउस वाले के यहाँ फुरसत में सुना. ये कोई लोकप्रिय गीत
नहीं था उस साल का, मगर ध्यान उसमें अटक गया और फिल्म
देखने की इच्छा जागृत हो गयी. फिल्म देखने को मिली १९८०
में. एक थके हुए से सिनेमा हाल में, थकी हुई सी कुर्सियों पर
और थके से प्रोजेक्टर पर जिसकी बत्ती हर आधे घंटे में एक
बार गुल होती थी मानो नायक नायिका को कुछ विशेष करने
की छूट दे रहा हो. उस समय बहुत शौक था प्रोजेक्टर चलाने
वाले से जा के बतियाने का. उसी ने बतलाया कार्बन आर्क थोडा
खराब क्वालिटी का आ गया है इसलिए बत्ती गुल हो जाती है.
सन ७६ के लोकप्रिय गीत आपको बतला दूं जिनकी छाया तले
तथाकथित जैम, अचार, मुरब्बे, शरबत कहीं खो गए. वे गीत
हैं-
कभी कभी मेरे दिल में ख्याल-कभी कभी
तेरे चेहरे से नज़र नहीं-कभी कभी
छोटी सी उम्र में लग गया रोग-बैराग
पीते पीते कभी कभी यूँ जाम-बैराग
बड़े अच्छे लगते हैं-बालिका वधू
जब तुम चले जाओगे-बुलेट
चलते चलते मेरे ये गीत-चलते चलते
ऐसे तकरीबन ५०-६० गीत हैं जिनका जिक्र होना अभी बाकी है.
बाकी के आपको किसी और पोस्ट में बतलायेंगे. आज ही सारे
बतला दिए तो किसी अंग्रेजी ब्लॉग पर ये छपे मिलेंगे जिस पर
४०-५० बार वाह वाह होगी और यहाँ कोई टीका लगाने भी नहीं
आएगा. आप समझ रहे हैं ना मैं क्या कह रहा हूँ.
फिल्म के निर्देशक हैं प्रकाश मेहरा जिन्होने मुकद्दर का सिकंदर
की नायिका रेखा को बनाया और इतिहास बन गया.
गीत के बोल:
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
आग दिल में लगी तू बुझा दे ना
अभी समा नहीं है रंग जमा नहीं है
अभी समा नहीं है रंग जमा नहीं है
चार दिन और यूँ ही बिता देना
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
ये बेरुखी कैसी है चार दिन इस जिंदगी के
के दो दिन जवानी के हैं वो तो आ जाना मिल के बिताएं सनम
ये दिल्लगी छोडो कोई हमें गर देख लेगा
तो दर है के दुनिया की नज़रों में ऐसे ही रुसवा ना हो जाएँ हम
क्या करेगी दुनिया जल मरेगी दुनिया
क्या करेगी दुनिया जल मरेगी दुनिया
तू जला मेरे दिल की बुझा देना
अभी समा नहीं है रंग जमा नहीं है
अभी समा नहीं है रंग जमा नहीं है
चार दिन और यूँ ही बिता देना
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
आऊँगी मैं डोली में सज-धज के जब घर पिया के
तो कर लेना जी भर के पूरे तू अरमान जाने जान दिल के सभी
देखो ये तन्हाई जाने हमें फिर कब मिलेगी
तू लग जा गले से उठा है मोहब्बत का तूफ़ान दिल में अभी
तू मान जा सैयां अब छोड़ दे बैयाँ
तू मान जा सैयां अब छोड़ दे बैयाँ
जागे अरमान अभी तो सुला दे ना
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
दिल मचल रहा है रंग बदल रहा है
आग दिल में लगी तू बुझा दे ना
दिल मचल रहा है
अभी समा नहीं है
रंग बदल रहा है
रंग जमा नहीं है
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Dil machal raha hai-Khalifa 1976
Artists-Randhir Kapoor, Rekha
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