Jan 14, 2017

ओ मेरे सनम-संगम १९६४

सन १९६४ की फिल्म संगम की कहानी इन्दर राज आनंद
ने लिखी थी. इन्दर राज आनंद राज कपूर से आग फिल्म
के ज़माने से जुड़े थे. कई फिल्मों के लिए उन्होंने संवाद
भी लिखे. अमिताभ बच्चन और मीनाक्षी शेषाद्री अभिनीत
फिल्म शहंशाह की कहानी भी उन्होंने लिखी थी जिसका
निर्देशन उनके पुत्र टीनू आनंद ने किया था.

संगम फिल्म से एक गीत सुनते हैं जिसमें नायक नायिका
एक दुसरे से सवाल जवाब कर रहे हैं. अतीत की परछाइयाँ
कई बार संबंधों में दरार उत्पन्न कर देती हैं. विश्वास एक
बहुत बड़ी दवा है ऐसे समय. समर्पण का कोई पैमाना नहीं
होता ये तो महसूस की जाने वाली बात है. गीत कहानी का
पूरक गीत है अर्थात सिचुएशनल गीत है मगर लोकप्रिय भी
है. इसे मुकेश और लता ने गाया है. शैलेन्द्र के बोल हैं और
शंकर जयकिशन का संगीत.



गीत के बोल:

ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम

तन सौंप दिया मन सौंप दिया
कुछ और तो मेरे पास नहीं
जो तुम से है मेरे हमदम
भगवान से भी वो आस नहीं

भगवान से भी वो आस नहीं
जिस दिन से हुए एक दूजे के
इस दुनिया से अनजान है हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम

ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम

सुनते हैं प्यार की दुनिया में
दो दिल मुश्किल से समाते हैं
क्या गैर वहाँ अपनों तक के
साये भी न आने पाते हैं
साये भी न आने पाते हैं
हमने आखिर क्या देख लिया
क्या बात है क्यों हैरान है हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम

ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम

मेरे अपने अपना ये मिलन
संगम है ये गंगा जमुना का
जो सच है सामने आया है
जो बीत गया एक सपना था
जो बीत गया एक सपना था
ये धरती है इन्सानों की
कुछ और नहीं इन्सान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम

ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
ओ मेरे सनम ओ मेरे सनम
दो जिस्म मगर एक जान हैं हम
एक दिल के दो अरमान हैं हम
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O mere sanam-Sangam 1964

Artists: Raj Kapoor, Vaijayantimala

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