फूलों के रंग से-प्रेम पुजारी १९७०
की, ज्यादा कुछ कहना उस कसीदाकारी की तौहीन होगी. ये
जुर्रत हम नहीं कर सकते हैं. उस कसीदाकारी में जो कुछ
छूट गया है वो हम बतलाये देते हैं-गीत में जो ट्रेन आप
देखेंगे वो सुन्दर है. ये ट्रेन है स्विट्ज़रलैंड की. ट्रेन का
सस्पेंशन सिस्टम बढ़िया क्वालिटी का है. शूटिंग के वक्त
कैमरा और देव आनंद ना के बराबर हिल रहे हैं गीत में.
गीत के बोल और धुन दोनों बढ़िया हैं मगर जिस शब्द ने
जनता को सबसे ज्यादा आकर्षित किया वो है-मदिर. कुछ
गीत हमने आपको सुनवाए हैं जिनमें नायक कार या जीप
में और नायिका ट्रेन में बैठी नज़र आती है. इसमें स्तिथि
उलट है. नायक ट्रेन में बैठा है.
गीत नीरज का है और संगीत एस डी बर्मन का.
गीत के बोल:
पल पल मुझे तू सताती
तेरे ही सपने लेकर के सोया
तेरी ही यादों में जागा
तेरे खयालों में उलझा रहा यूँ
जैसे के माला में धागा
हाँ बादल बिजली चंदन पानी
जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें
कई कई बार
हाँ इतना मदिर इतना मधुर
तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें
कई कई बार
साँसों की सरगम धड़कन की बीना
सपनों की गीताँजली तू
मन की गली में महके जो हरदम
ऐसी जूही की कली तू
छोटा सफ़र हो लम्बा सफ़र हो
सूनी डगर हो या मेला
याद तू आए मन हो जाए
भीड़ के बीच अकेला
हाँ बादल बिजली चंदन पानी
जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें
कई कई बार
हाँ इतना मदिर इतना मधुर
तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें
कई कई बार
पूरब हो पच्छिम उत्तर हो दक्खिन
तू हर जगह मुस्कुराए
जितना ही जाऊँ मैं दूर तुझसे
उतनी ही तू पास आए
आँधी ने रोका पानी ने टोका
दुनिया ने हँस कर पुकारा
तस्वीर तेरी लेकिन लिये मैं
कर आया सबसे किनारा
हाँ बादल बिजली चंदन पानी
जैसा अपना प्यार
लेना होगा जनम हमें
कई कई बार
हाँ इतना मदिर इतना मधुर
तेरा मेरा प्यार
लेना होगा जनम हमें
कई कई बार...................................................................
Phoolon ke rang se-Prem pujari 1970
Artists: Dev Anand, Zahida