आँखों में क्या जी-नौ दो ग्यारह १९५७
मतलब होता है-रफूचक्कर होना. इसके बेहतर मतलब भी हैं
जिसके लिए आप शब्दकोष की सेवा ले सकते हैं.
गीत सुनते हैं किशोर और आशा का गाया हुआ. गीत के बोल
हैं मजरूह सुल्तानपुरी के और संगीत एस डी बर्मन ने तैयार
किया है. किशोर और आशा ने इसे गाया है और ये बेहद
लोकप्रिय युगल गीत है. इसे सवाल जवाब गीत कहा जा सकता
है, बड़े आराम से.
गीत के बोल:
आँखों में क्या जी रुपहला बादल
बादल में क्या जी किसी का आँचल
आँचल में क्या जी अजब सी हलचल
आँखों में क्या जी रुपहला बादल
बादल में क्या जी किसी का आँचल
आँचल में क्या जी अजब सी हलचल
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
रंगीं है मौसम तेरे दम की बहार है
फिर भी है कुछ कम बस तेरा इंतज़ार है
हो ओ ओ रंगीं है मौसम तेरे दम की बहार है
फिर भी है कुछ कम बस तेरा इंतज़ार है
देखने में भोले हो पर हो बड़े चंचल
आँचल में क्या जी अजब सी हलचल
आँखों में क्या जी रुपहला बादल
बादल में क्या जी किसी का आँचल
आँचल में क्या जी अजब सी हलचल
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ
झुकती है पलकें झुकने दो और झूम के
उड़ती है ज़ुल्फें उड़ने दो होंठ चूम के
हो ओ ओ झुकती है पलकें झुकने दो और झूम के
उड़ती है ज़ुल्फें उड़ने दो होंठ चूम के
देखने में भोले हो पर हो बड़े चंचल
आँचल में क्या जी अजब सी हलचल
झूमें लहराएं नैना मिल जाये नैन से
साथी बन जाए रस्ता कट जाये चैन से
हो ओ ओ झूमें लहराएं नैना मिल जाये नैन से
साथी बन जाए रस्ता कट जाये चैन से
देखने में भोली हो पर हो बड़े चंचल
आँचल में क्या जी अजब सी हलचल
आँखों में क्या जी रुपहला बादल
बादल में क्या जी किसी का आँचल
आँचल में क्या जी अजब सी हलचल
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Ankhon mein kya ji-Nau do gyarah 1957
Artists: Dev Anand, Kalpana Kartik
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