चारु चंद्र की चंचल चितवन-मनपसंद १९८०
लेकर टुच्च स्तरीय लाइनों तक सब कुछ हम सुनते
आये हैं बरसों से.
सन १९८० की फिल्म मनपसंद में एक गीत है जो
हमें कवि मैथिलिशरण गुप्त की कविता की याद दिला
देता है.
ये एक ट्रेंड रहा है कि किसी शेर की या कविता के
कुछ शब्दों को लेकर पूरा गीत बना दिया जाए. ये
मामला आपने शेरोन के मामले में ज्यादा देखा होगा.
कविता के मामले थोड़े कम हैं.
अमित खन्ना ने एक अच्छा गीत लिखा है कुछ शब्दों
को आधार बना कर. राजेश रोशन ने इसकी धुन बनाई
है.
सा गा सा गा सुनते सुनते कभी कभी सरसों दा सागा
याद आ जाता है.
गीत के बोल:
चारु चन्द्र की चंचल चितवन
बिन बदरा बरसे सावन
मेघ मल्हार मधुर मनभावन
पवन पिया प्रेमी पावन
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Charu Chandra ki chanchal chitwan-Manpasand 1980
Artists: Dev Anand, Tina Munim
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