Jul 4, 2017

हम जब होंगे साठ साल के-कल आज और कल १९७१

बचपन से पचपन के सफर में मानव सैकड़ों गुलाटियां खा लेता
है. साठ तक पहुँचते सठियाने लगता है. सन १९७१ की एक फिल्म
है-कल आज और कल जिसमें एक ही परिवार की तीन पीढियां
मौजूद हैं बतौर कलाकार. नायक की असल जीवन की पत्नी भी
मूजूद है फिल्म में. गौरतलब है कई बरसों की अनबन के बाद
अब बुढापे में फिर से नायक-नायिका साथ हो गए हैं.

फिल्म से एक गीत सुनते हैं किशोर और आशा का गाया हुआ.
गीत में ये तो क्लीयर है शादी के लिए दूल्हा और दुल्हन की उम्र
में कितना अंतर होना चाहिए. वैसे न्यूनतम मान्य आंकड़ा तो
तीन साल का है.



गीत के बोल:

हम जब होंगे साठ साल के और तुम होगी पचपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना तब भी अपने बचपन की
तुम जब होगे साठ साल के और मैं हूंगी पचपन की
प्रीत की ज्योत जलाऊंगी मैं तब भी अपने बचपन की

हाँ  बाहों का सहारा हो जब लकड़ी क्यूं हम टेकेंगे
आँख भले धुंधली हो जाये दिल की नज़र से देखेंगे
आँखों में तुम यूँ ही देखना क्या है ज़रूरत दरपन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना तब भी अपने बचपन की

रूप की ये मस्तानी धूप इक दिन तो ढल जायेगी
और क़िस्मत भी चेहरे पे समय का रंग मल जायेगी
तुम तब कहीं बदल ना जाना क़सम तुम्हें इस धड़कन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना तब भी अपने बचपन की

हाँ ठंडी में तुम स्वेटर बुनना हम लकड़ी चुन लाएंगे
बच्चों के संग बच्चे बन कर हम दोनों तुतलाएंगे
मिलजुल कर हम साथ रहेंगे बात न होगी अनबन की
बोलो प्रीत निभाओगी ना तब भी अपने बचपन की
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Ham jab honge saath saal ke-Kal aaj aur kal 1971

Artists: Randhir Kapoor, Babita

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