उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत-तीन देवियाँ १९६५
टुकड़े युक्त ठंडा पेय) खाते/पीते समय ज़रूर मुंह से ये शब्द
निकलते हैं-उफ़ कितना ठंडा है. आजकल इसे बनाने की
मशीनें आ गयी हैं. देसी संस्करण में मोदीनगर की शिकंजी
इसका सबसे अच्छा उदाहरण है.
कोई गर्मी का मारा कश्मीर पहुँच जाए तो उसे राहत महसूस
होगी. फिल्म तीन देवियाँ के इस गीत में ठन्डे मौसम की
तारीफ की गयी है. रूमानियत से भरपूर इस गीत में सर्दी,
अंगारे और चिंगारी एक साथ बल खा रहे हैं. मजरूह का
लिखा गीत है ये जिसे लता और किशोर ने गाया है.
गीत के बोल:
उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
सुलगे है तन्हाई मेरी
सन सन सन जलता है बदन
काँपे है अंगड़ाई मेरी
तुमपे भी सोना है भारी
वो है कौन ऐसी चिंगारी
है कोई इन आँखों में
एक तुम जैसी ख़्वाबों की परी
उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
सुलगे है तन्हाई मेरी
ये तन्हाँ मौसम मेहताबी
ये जलती बुझती बेख़ाबी
महलों में थर्राती है एक
बेताबी अरमाँ में भरी
उफ़ कितनी ठण्डी है ये रुत
सुलगे है तन्हाई मेरी
ऐसे हैं दिल पे कुछ साये
धड़कन भी जल के जम जाये
काँपो तुम और सुलग़ें हम
ये चाहत की है जादूगरी
उफ़ कितनी ठण्डी है ये पुत
सुलगे है तन्हाई मेरी
…………………………………………………..
Uff kitni thandi hai ye rut-Teen deviyan 1965
Artists: Dev Anand, Simi Grewal
0 comments:
Post a Comment