आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे-शंकर हुसैन १९७७
मधुर गीत सुनते हैं. जान निसार अख्तर के लिखे गीत के लिए तर्ज़
बनाई है खय्याम ने.
फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं कंवलजीत और मधुचंदा. आपने कंवलजीत
का नाम अवश्य ही सुना होगा.
गीत के बोल:
आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे
आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अंधेरे चमकते रहे
रात आती रही रात जाती रही
आप यूँ
गुनगुनाती रहीं मेरी तनहाईयाँ
दूर बजती रहीं कितनी शहनाईयाँ
दूर बजती रहीं कितनी शहनाईयाँ
ज़िंदगी ज़िंदगी को बुलाती रही
आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ
कतरा कतरा पिघलता रहा आस्माँ
कतरा कतरा पिघलता रहा आस्माँ
रूह की वादियों में न जाने कहाँ
इक नदी
इक नदी दिलरुबा गीत गाती रही
आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आप यूँ
आप की गर्म बाहों में खो जायेंगे
आप की नर्म ज़ानों पे सो जायेंगे
सो जायेंगे
मुद्दतों रात नींदें चुराती रही
आप यूँ फ़ासलों से गुज़रते रहे
दिल से कदमों की आवाज़ आती रही
आहटों से अंधेरे चमकते रहे
रात आती रही रात जाती रही
आप यूँ आप यूँ आप यूँ आप यूँ
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Aap yun faaslon se-Shankar Hussain 1977
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