छोड़ो सनम काहे का ग़म-कुदरत १९८१
किशोर कुमार और एनेट पिंटो का गाया ये गीत कुछ हाज़िर जवाब
संगीत प्रेमियों की नज़र में दो प्रकार की विधाओं का संगम है-
योडलिंग और गार्गलिंग.
गीत मजरूह सुल्तानपुरी का है और संगीत आर डी बर्मन का. अपने
समय की संगीत शैली यानि के डिस्को के हिसाब से ये गीत एकदम
सटीक है. इस पर डांस किया जा सकता है. धुन भी आकर्षक है इसकी.
गीत के बोल:
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
मिट जायेगा सारा गिला
हमसे गले मिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
मिट जायेगा सारा गिला
हमसे गले मिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
मुस्कुराती हसीन आँखों से देखो देखो समा बदलता है कैसे
जाने जहाँ चेहरे की रंगत खुल जाती है ऐसे
मुस्कुराती हसीन आँखों से देखो देखो
समा बदलता है कैसे
जाने जहाँ चेहरे की रंगत खुल जाती है ऐसे
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
आओ मिलकर के यूँ बहक जाएं कि महक जाये
आज होंठों की कलियाँ
झूमे फ़िज़ा ये गलियाँ बन जाये फूलों की गलियाँ
आओ मिलकर के यूँ बहक जाएं कि महक जाये
आज होंठों की कलियाँ
झूमे फ़िज़ा ये गलियाँ बन जाये फूलों की गलियाँ
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
मिट जायेगा सारा गिला
हमसे गले मिलते रहो
छोड़ो सनम काहे का ग़म
हंसते रहो खिलते रहो
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Chhodo sanam kaahe ka gham-Kudrat 1981
Artists: Vinod Khanna, Kalpana Iyer, Hema Malini
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