दो कदम तुम भी चलो-एक हसीना दो दीवाने १९७२
गाया एक बढ़िया गीत आपको सुनवाया था कुछ पोस्ट पहले.
अब सुनते हैं उसका युगल संस्करण. मुकेश और लता के
गाये इस गीत को लिखा है काफ़िल अज़र ने. धुन एक बार
फिर से कल्याणजी आनंदजी की है.
गीत जीतेंद्र और बबीता पर फिल्माया गया है.
गीत के बोल:
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
मंजिलें प्यार की
मंजिलें प्यार की आएँगी चलते चलते
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
कल तक तो अनजान थी हमारी रहे प्यार की
हमसे रहे प्यार की
लेकिन अपनी हो गए अब तो बाहें प्यार की
अब तो बाहें प्यार की
अब हमें ये जहाँ
अब हमें तो ये जहां देखेगा जलते जलते
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
मेरी जो भी सोच थी उसका ही तुम रूप हो
उसका ही तुम रूप हो
मैं हूँ नदिया तुम घटा मैं छाया तुम धूप हो
मैं छाया तुम धूप हो
प्यार अब ये हो जवान
प्यार अब ये हो जवान आँखों में पलते पलते
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
ऐसी ही एक शाम थी देखा था जब आपको
देखा था जब आपको
तुम इस ढलती शाम को रोको तो कुछ बात हो
रोको तो कुछ बात हो
जाने से जायेंगे
जान से जायेंगे शाम के ढलते ढलते
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
मंजिलें प्यार की
मंजिलें प्यार की आएँगी चलते चलते
दो कदम तुम भी चलो दो कदम हम भी चलें
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Do kadam tum bhi chalo-Ek haseena do deewane 1972
Artists: Babita, Jeetendra
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