दिल उनको उठा के दे दिया-बाप बेटे १९५९
बाप बेटे से. राजेंद्र कृष्ण की लिखी रचना को संगीत में
जकडा है मदन मोहन ने.
सालों से ये गाना सुनते आ रहे हैं फिल्म बाप बेटे का
मगर एक बात अभी भी खटकती है-उठा के दे दिया.
दिल ना हुआ कुर्सी हो गयी जो कोने में पड़ी थी उठा
के दे दी.
शकीला ने तो हॉरर और सस्पेंस फिल्मों में काम किया है
मेरे ख्याल से श्यामा को भी कुछ फ़िल्में करना चाहिए
थीं. इस गीत में उनके चेहरे पर जिस प्रकार के भाव
आये हैं और जिस गति से वो बदलते हैं, डरावनी फिल्मों
के लिए उपयुक्त हैं. मैं एक किलो मुस्कुराहट के अलावा
वाले भावों की बात कर रहा हूँ.
गीत के बोल:
दिल उनको उठा के दे दिया
कुछ घबरा के कुछ शरमा के
अब सोचती हूँ ये क्या किया
कुछ घबरा के कुछ शरमा के
दिल उनको उठा के दे दिया
ये किससे हुआ सामना
दिल पुकारा मुझे थामना
ये किससे हुआ सामना
दिल पुकारा मुझे थामना
मिल चुकी थी नज़र हो चुका था असर
नाम उनका ज़ुबाँ ने ले लिया
दिल उनको उठा के दे दिया
कुछ घबरा के कुछ शरमा के
दिल उनको उठा के दे दिया
ज़िंदगी में कोई आ गया
प्यार का राग समझा गया
ज़िंदगी में कोई आ गया
प्यार का राग समझा गया
उनके हो ही गये हम तो खो ही गये
जाने जादू ये कैसा किया
दिल उनको उठा के दे दिया
कुछ घबरा के कुछ शरमा के
अब सोचती हूँ ये क्या किया
कुछ घबरा के कुछ शरमा के
दिल उनको उठा के दे दिया
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Dil uno utha ke de diya-Baap bete 1959
Artist: Shyama
2 comments:
फाइनेंस पे लोग गाडी उठा लाते हैं. उठाना शब्द अब आधुनिक
हिंदी की पहचान है. ये समय से आगे का गीत है.
ज्ञान पर प्रकाश के लिए धन्यवाद
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