आप चाहें मुझको-प्यार का मौसम १९६९
में आता है-नायिका का भाव खाना. अजब गज़ब सी
श्रेणियाँ बन जाती हैं गीतों की जिन्हें देख के अलज़ेबरा
की श्रेणियाँ भी शर्मा जाएँ.
सुनते हैं फिल्म प्यार का मौसम से एक गीत जिसे
लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी ने राहुल देव बर्मन की
धुन के लिए और इसे गाया है लता मंगेशकर ने.
गीत में विलायती हेलन को धता बताने के लिए नायिका
और उसकी टोली यकायक प्रकट हो जाती है और माहौल
का देसीकरण हो जाता है.
गीत के बोल:
आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहो में
हाय रे गरूर आपका
सूझे मुझे भी दिल्लगी
हो ओ ओ मैं जो एक दिन तुम्हारी
बेतुकी अदा पे हंस पड़ी
तुम समझे मैं मरती हूँ तुमपे
तुम समझे मैं मरती हूँ तुमपे
आपकी समझ को क्या कहूँगी
आ आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
हो तुम किस ख्याल में
अरे पूजते है सब यहाँ मुझे
हो ओ ओ देखूं सूरत तुम्हारी
फुरसत ही कहा मुझे
ये भी जानो एहसान मेरा
ये भी जानो एहसान मेरा
एक बार भी जो देख लूं जी
आ आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
आप चाहें मुझको आरज़ू है किसको
ऐसे तो जवां ऐसे तो हंसी भी नहीं
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
आपसे पड़े है कई राहों में
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Aap chahen mujhko-Pyar ka mausam 1969
Artists: Asha Parekh, Shashi Kapoor
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