कहो आ के बहार-फोर्टी डेज़ १९५९
और जब आप दुःख के बादलों में घिरे होते हैं तब बोलों
का अर्थ समझते हैं. ये बात जिसने भी कहीं है सटीक है.
एक गीत है मुकेश आशा का गाया युगल गीत १९५९ का
जिसमें पहली पंक्ति को कुछ यूँ समझते थे हम-कहो आ
के बाहर, करे मेरा सिंगार. वो शब्द बहार है जिसके कारण
गफ़लत कई गानों में हो चुकी है.
सरसरी तौर पर गान सुनने में अर्थ का अनर्थ होने की
सम्भावना प्रबल होती है. मगर, जिन गानों के बोल ही
समझ ना आयें उनका क्या? साय सुकू साय सुकू साय
साय !
कैफी आज़मी की रचना है और बाबुल का संगीत. गीत
में एक शोख नज़र से सौ भेद समझने की बात कही
गयी है. सदियों से कवि, गीतकार और प्रेमी रिसर्च कर
के थक-मर गए मगर स्त्री मन का भेद कोई ना जान
पाया. अंगड़ाई मच्छर भगाने के लिए है या अलसाने की
अदा.
गाने की हो ओ ओ ओ से आपको नैयर के संगीत वाला
‘रोका कई बार मैंने’ गीत याद आना चाहिए.
गीत के बोल:
हो ओ ओ ओ ओ
कहो आ के बहार करे मेरा सिंगार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हो ओ ओ ओ ओ
चुनूँ फूल हज़ार ओ करूँ तुझपे निसार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
आँखों में खुशी नाचे होंठों पे हंसी गाये
कह दो गम-ए-दुनिया से छुपे से गुज़र जाये
सुनो दिल की पुकार कहे दिल बार बार
मुझे प्यार मिला ओ दिलदार मिला
हा आ आ आ आ
चुनूँ फूल हज़ार ओ करूँ तुझपे निसार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
ये मस्त फ़ज़ा दिल को दीवाना बनाती है
ये मस्त फ़ज़ा दिल को दीवाना बनाती है
एक शोख नज़र तेरी सौ भेद बताती है
तुम्हीं मेरा क़रार तुम्हीं मेरा निखार
मुझे प्यार मिला ओ दिलदार मिला
हा आ आ आ आ
कहो आ के बहार करे मेरा सिंगार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हाय
बेदर्द ज़माने को हम प्यार सिखा देंगे
दिल खो ही चुके पहले अब जां भी गंवा देंगे
ये है ऐसा खुमार नहीं जिसका उतार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हो ओ ओ ओ ओ
कहो आ के बहार करे मेरा सिंगार
मुझे प्यार मिला हो दिलदार मिला
हो ओ ओ ओ ओ
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Kaho aa ke bahaar-40 Days 1959
Artists: Premnath, Nishi
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