पलकों के पीछे से क्या तुमने-तलाश १९६९
शर्मिला टैगोर मुख्य भूमिकाओं में हैं। इस फ़िल्म की कहानी
कुछ अलग हट के थी। (वैसी नहीं जैसी की इंटरव्यू देते समय
प्रायः हर निर्माता, निर्देशक बताता है) फ़िल्म ओ. पी. रल्हन से
बनाई और इसमे नायक के मित्र की भूमिका भी निभाई।
रल्हन को बॉलीवुड की कुछ सबसे सफल फिल्में बनाने का
श्रेय जाता है। इस फ़िल्म के गानों की ध्वनि गुणवत्ता उत्तम है।
बावजूद इसके, कि इस फ़िल्म में बढ़िया संगीत है, फ़िल्म को
पुरस्कार के नाम पर केवल एक साउंड रिकॉर्डिंग की श्रेणी
में एक पुरस्कार मिला।
ये गाना एक पहाड़ी धुन सा प्रतीत होता है । पहाड़ पर फिल्माया
गया है और इसमे हल्का ईको का प्रयोग किया गया है जो इसकी
सुन्दरता बढाता है ।
गीत में सुंदरता बढाने वाले और भी कई कारक हैं जैसे नायिका के
जूडे की विशेष सज्जा।स्टेचू ऑफ लिबरटी से प्रेरित या साज सज्जा
वाला किसी आदिवासी क्षेत्र में कुछ समय बिता के आया था।
स्टेचू के साथ दूसरी तरफ़ फूलों का बगीचा। हो सकता है म्युचुअल
इंडक्शन के चलते खुद बगीचे का हिस्सा नायिका के बालों से
चिपक गया हो।
गीत में आपको सेवंती, डहलिया और सेलोसिया के फूल खूब
दिखलाई देंगे। इस गीत को बारिश के बाद के मौसम में फिल्माया
गया होगा ज़रूर।
गीत के बोल:
पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रमाना
नैनो ने सपनों की महफ़िल सजाई है
तुम भी ज़रूर आना
पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रमाना
तौबा मेरी तौबा मुश्किल था एक तो
पहले ही दिल का बहलना
आफत फिर उस पे लट में तुम्हारा
मुखड़ा छिपा के चलना
हाय तौबा मेरी तौबा मुश्किल था एक तो
पहले ही दिल का बहलना
आफत फिर उस पे लट में तुम्हारा
मुखड़ा छिपा के चलना
ऐसे न बोलो पड़ जाये मुझको शरमाना
पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रमाना
नैनो ने सपनों की महफ़िल सजाई है
तुम भी ज़रूर आना
हाय पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रमाना
दुनिया न देखे धडके मेरा मन रस्ता सजन मेरा छोड़ो
तन थरथराए उंगली हमारी देखो पिया न मरोड़ो
दुनिया न देखे धडके मेरा मन रस्ता सजन मेरा छोड़ो
तन थरथराए उंगली हमारी देखो पिया न मरोड़ो
यूँ न सताओ मुझको बना के दीवाना
पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रमाना
नैनो ने सपनों की महफ़िल सजाई है
तुम भी ज़रूर आना
हाय पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रमाना
हूँ आ आ आ आ आ आ आ आ
हूँ आ आ आ आ आ आ आ आ
बच बच के हमसे ओ मतवाली है ये कहाँ का इरादा
नाज़ुक लबो से फिर करती जाओ मिलने का कोई वादा
बच बच के हमसे ओ मतवाली है ये कहाँ का इरादा
नाज़ुक लबो से फिर करती जाओ मिलने का कोई वादा
दिल ये मेरा घर है तुम्हारा आ जाना
पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रजाना
नैनो ने सपनों की महफ़िल सजाई है
तुम भी ज़रूर आना
हाय पलकों के पीछे से क्या तुमने कह डाला
फिर से तो फ़रमाना
………………………………………………
Palkon ke peechhe se kya tumne keh dala-Talash 1969
Artists: Rajendra Kumar, Sharmila Tagore
0 comments:
Post a Comment