पतली कमर है-बरसात १९४९
के विवरण वाला ये गीत इतना बजा कि लोगों को याद हो गया।
इस गीत में मस्ती और दुःख दोनों का संगम है। जिस अनूठे ढंग
से इसको तैयार किया गया है वो शंकर जयकिशन के ही बस की
बात थी। ऐसा लगता है जैसे गीत में दो कहानियां एक साथ कही
जा रही हों। गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ है जिसको गाया है मुकेश
और लता मंगेशकर ने। गीत तीन कलाकारों पर फिल्माया गया
है जिसमे से मैं प्रेमनाथ और निम्मी को आसानी से पहचान सकता
हूँ। तीसरी शायद कुक्कू जो नाच रही हैं।
..........
गाने के बोल:
पतली कमर है तिरछी नज़र है
पतली कमर है तिरछी नज़र है
खिले फूल सी तेरी जवानी
कोई बताये कहाँ क़सर है
पतली कमर है तिरछी नज़र है
पतली कमर है तिरछी नज़र है
आ,आ जा मेरे मन चाहे बालम
आ जा तेरा आँखों में घर है
आ जा तेरा आँखों में घर है
होए
मैं चंचल मदमस्त पवन हूँ
मैं चंचल मदमस्त पवन हूँ
झूम झूम हर कली को चुमूँ
झूम झूम हर कली को चुमूँ
बिछड़ गयी
बिछड़ गयी मैं घायल हिरणी
तुमको ढूँढूँ बन बन घूमूँ
मेरी ज़िंदगी मस्त सफ़र है
मेरी ज़िंदगी मस्त सफ़र है
पतली कमर है तिरछी नज़र है
पतली कमर है तिरछी नज़र है
आ,आ जा मेरे मन चाहे बालम
आ जा तेरा आँखों में घर है
आ जा तेरा आँखों में घर है
तुम बिन नैनों की बरसातें
रोक न पाऊँ लाख मनाऊँ
तुम बिन नैनों की बरसातें
रोक न पाऊँ लाख मनाऊँ
मैं बहते दरिया का पानी
मैं बहते दरिया का पानी
खेल किनारों से बढ़ जाऊँ
खेल किनारों से बढ़ जाऊँ
बँध न पाऊँ
नया नगर नित नयी डगर है
तिरछी नज़र है
पतली कमर है
आ जा मेरे मन चाहे बालम
आ जा तेरा आँखों में घर है
होए, पतली कमर है तिरछी नज़र है
पतली कमर है तिरछी नज़र है
........................................................
Patli kamar hai-Barsaat 1949
Artists: Premnath, Nimmi, Cuckoo
0 comments:
Post a Comment