झूमती चली हवा-संगीत सम्राट तानसेन १९६२
मुकेश का गाया ये एक सदाबहार गीत है। फ़िल्म में तानसेन बने
भारत भूषण इसे गा रहे हैं परदे पर। उन्हें कौन याद आया ये जानने
के लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगी । गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ है
और धुन बनाई है एस. एन. त्रिपाठी ने।
गीत के बोल:
झूमती चली हवा
झूमती चली हवा, याद आ गया कोई
बुझती बुझती आग को, फिर जला गया कोई
झूमती चली हवा ...
खो गई हैं मंज़िलें, मिट गये हैं रास्ते
खो गई हैं मंज़िलें, मिट गये हैं रास्ते
गर्दिशें ही गर्दिशें, अब हैं मेरे वास्ते
अब हैं मेरे वास्ते
और ऐसे में मुझे, फिर बुला गया कोई
झूमती चली हवा ...
चुप हैं चाँद चाँदनी, चुप ये आसमान है
चुप हैं चाँद चाँदनी, चुप ये आसमान है
मीठी मीठी नींद में, सो रहा जहान है
सो रहा जहान है
आज आधी रात को, क्यों जगा गया कोई
झूमती चली हवा ...
एक हूक सी उठी, मैं सिहर के रह गया
एक हूक सी उठी, मैं सिहर के रह गया
दिल को अपना थाम के आह भर के रह गया
आह भर के रह गया
चाँदनी की ओट से मुस्कुरा गया कोई
झूमती चली हवा ...
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Jhoomti chali hawa-Sangeet samrat Tansen 1962
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