दिए जलाएं प्यार के -धरती कहे पुकार के १९६९
जब अभिनेत्रियों के जूडे की शक्ल चिडिया के घोंसले या गमले
जैसी प्रतीत होती थी। बहुत कम अभिनेत्रियों पर वो जंचता था।
भेड़ चाल के चलते उस समय लगभग सभी अभिनेत्रियों को ये एक
ना एक बार जरूर प्रदर्शित करना पड़ा। धन्य हो हिंदी फिल्मों के
निर्देशक। एक और चीज़ ओवरसाइज़ है इस गीत में वो है जीतेंद्र
के सर पे रखी पगड़ी। गीत मधुर है और एक सुन्दर अभिनेत्री निवेदिता
पर फिल्माया गया है। मजरूह के गीत पर एक आकर्षक धुन बनाई है
लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ने। आवाज़ लता मंगेशकर की है जो आप
पहचान ही गए होंगे।
फिल्म का निर्देशन दुलाल गुहा ने किया है जिन्होंने काफी चर्चित
फ़िल्में बनायीं हैं हिंदी फिल्म जगत के लिए. फिल्म अभिनेत्री
निवेदिता की पदार्पण फिल्म थी-सन १९६४ की शगुन . उनका
नाम लिबी राणा है. निवेदि़त नाम उनको किसने दिया ये मुझे
मालूम नहीं.
गीत के बोल:
दिए जलाएं प्यार के चलो इसी ख़ुशी में
बरस बिता के आई है ये शाम ज़िन्दगी में
दिए जलाएं प्यार के चलो इसी ख़ुशी में
बरस बिता के आई है ये शाम ज़िन्दगी में
घुल गया एक साल फिर तन मन के रंग में
महकी बहार बन के
घुल गया एक साल फिर तन मन के रंग में
महकी बहार बन के
रुत फिर बीती हुई बन बन के चांदनी
चेहरे पे आई छन के
भटक चलें इसी हसीं याद की गली में
बरस बिता के आई है ये शाम ज़िन्दगी में
दिए जलाएं प्यार के चलो इसी ख़ुशी में
बरस बिता के आई है ये शाम ज़िन्दगी में
जगमग नैना हुए, हंस दिए पलकों तले
सपने कई सुहाने
जगमग नैना हुए, हंस दिए पलकों तले
सपने कई सुहाने
पल भर के वास्ते फिरने लगे सामने
गुज़रे हुए ज़माने
पुकारने गए हुए दिनों को बेखुदी में
बरस बिता के आई है ये शाम ज़िन्दगी में
दिए जलाएं प्यार के चलो इसी ख़ुशी में
बरस बिता के आई है ये शाम ज़िन्दगी में
..............................................................................
Diye jalayen pyar ke-Dharti kahe pukar ke 1969
Artists-Nivedita, Sanjeev Kumar
0 comments:
Post a Comment