जा री पवनिया -दो बूँद पानी १९७१
सिमी ग्रेवाल किसी अंग्रेजी 'फैयरी टेल' के चरित्र सी दिखाई
देती हैं। उन्हें हिंदी फिल्मों में देखना अनूठा अनुभव
है, विशेषकर इस गीत में उनको ग्रामीण वेशभूषा में
देखना। दो बूँद पानी फिल्म से आशा भोंसले का गाया ये गीत
मुझे पसंद है। कैफ़ी आज़मी के खूबसूरत बोलों को उतनी ही
आकर्षक धुन में बाँधा है संगीतकार जयदेव ने। फिल्म बनायीं थी
ख्वाजा अहमद अब्बास ने जो 'नीचा नगर' फिल्म के लिए विख्यात हैं।
गीत के बोल:
जा री पवनिया पिया के देस जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
इतना संदेसा मोरा कहियो जा
पिया को संदेसा मोरा कहियो जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
इतना संदेसा मोरा कहियो जा
पिया को संदेसा मोरा कहियो जा
तन मान प्यासा, प्यासी नजरिया
प्यासी प्यासी गागरिया
तन मान प्यासा, प्यासी नजरिया
प्यासी प्यासी गागरिया
अम्बर प्यासा, धरती प्यासी
प्यासी सारी नगरिया
प्यासी सारी नगरिया
प्यास बुझेगी तब जीवन की
प्यास बुझेगी तब जीवन की
जब घर आवे संवरिया
इतना संदेसा मोरा कहियो जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
मान की अग्नि तन को जलाये
तुम बिन कोई ना जाने
मान की अग्नि तन को जलाये
तुम बिन कोई ना जाने
छोड़ी तुमने जो रणभूमि
सखियाँ मारेंगी ताने मोहे
सखियाँ मारेंगी ताने
लाज के मारे मर जाएगी
लाज के मारे मर जाएगी
अपने पिया की बाँवरिया
बस, इतना संदेसा मोरा कहियो जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
जा री पवनिया पिया के देस जा
इतना संदेसा मोरा कहियो जा
पिया को संदेसा मोरा कहियो जा
पिया को संदेसा मोरा कहियो जा
पिया को संदेसा मोरा कहियो जा
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