छोड़ दो आँचल ज़माना क्या कहेगा-पेइंग गेस्ट १९५७
फ़िल्म - पेइंग गेस्ट
वर्ष: १९५७
गीत - मजरूह सुल्तानपुरी
संगीत - एस डी बर्मन
गायक - किशोर कुमार, आशा भोंसले
कलाकार- देव आनंद, नूतन
...........
गाने के बोल:
आ, छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
हो, ओ ओ,छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
हा हा हा , इन अदाओं का ज़माना भी हैं दीवाना
दीवाना क्या कहेगा
हो ओ ओ , छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
हा हा हा , इन अदाओं का ज़माना भी हैं दीवाना
दीवाना क्या कहेगा
हा हा हा ,छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
मैं चली,
मैं चली अब खूब छेड़ो, प्यार के अफ़साने
कुछ मौसम हैं दीवाना कुछ तुम भी हो दीवाने
मैं चली अब खूब छेड़ो, प्यार के अफ़साने
कुछ मौसम हैं दीवाना कुछ तुम भी हो दीवाने
ज़रा सुनना, जान-ए-तमन्ना
ओ, ज़रा सुनना, जान-ए-तमन्ना
इतना तो सोचिये मौसम सुहाना क्या कहेगा
हो ओ ओ , छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
हा हा हा , इन अदाओं का ज़माना भी हैं दीवाना
दीवाना क्या कहेगा
हा हा हा ,छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
हो हो हो हो हो हो
हा हा हा हा
हो हो हो हो हो हो
हा हा हा हा
हो हो हो हो हो हो
हं हं हं हं
यूँ न देखो जाग जाए प्यार की अंगड़ाई
ये रस्ता ये तनहाई लो दिल ने ठोकर खाई
यूँ न देखो जाग जाए प्यार की अंगड़ाई
ये रस्ता ये तनहाई लो दिल ने ठोकर खाई
यही दिन हैं मस्ती के सिन हैं
यही दिन हैं मस्ती के सिन हैं
किसको ये होश है अपना बेगाना क्या कहेगा
हो ओ ओ , छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
हा हा हा , इन अदाओं का ज़माना भी हैं दीवाना
दीवाना क्या कहेगा
हा हा हा ,छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
ये बहारें ये फुवारें ये बरसता सावन
थर थर काँपे हैं तन मन मेरी बैयाँ धर लो साजन
ये बहारें ये फुवारें ये बरसता सावन
थर थर काँपे हैं तन मन मेरी बैयाँ धर लो साजन
अजी आना दिल में समाना
अजी आना दिल में समाना
एक दिल एक जान हैं हम तुम, ज़माना क्या कहेगा
हा हा हा , छोड़ दो आंचल ज़माना क्या कहेगा
हा हा हा , इन अदाओं का ज़माना भी हैं दीवाना
दीवाना क्या कहेगा
ज़माना क्या कहेगा
दीवाना क्या कहेगा
0 comments:
Post a Comment