ओ निगाहें मस्ताना-पेइंग गेस्ट १९५७
फिल्म पेईंग गेस्ट से एक और कर्णप्रिय गीत जो किशोर और आशा
की आवाजों में है। गीत लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी ने। इसे फिल्माया
गया है देव आनंद और नूतन पर। फिल्म सन १९५७ में आई थी।
गाने के बोल:
ओ निगाहें मस्ताना
देख समाँ है सुहाना
तीर दिल पे चला के
हाँ, ज़रा झुक जाना
ओ हो,
ओ निगाहें मस्ताना
देख समाँ है सुहाना
तीर दिल पे चला के
हाँ, ज़रा झुक जाना
ओ हो,
ओ निगाहें मस्ताना
कोई देखे नशीले आँखें मल मल के
दिल कैसे बने न दीवाना
शम्मा करे है इशारे जब जल जल के
कहो क्या करे परवाना
कोई देखे नशीले आँखें मल मल के
दिल कैसे बने न दीवाना
शम्मा करे है इशारे जब जल जल के
कहो क्या करे परवाना
ओ हो
ओ निगाहें मस्ताना
देख समाँ है सुहाना
तीर दिल पे चला के
हाँ, ज़रा झुक जाना
ओ हो,
ओ निगाहें मस्ताना
देख समाँ है सुहाना
तीर दिल पे चला के
हाँ, ज़रा झुक जाना
ओ हो,
ओ निगाहें मस्ताना
दामन न बचाना मेरे हाथों से
शरमा के गले से लग जाना
जले चाँद सितारे जिन बातों से
सुन जा वही अफ़साना
दामन न बचाना मेरे हाथों से
शरमा के गले से लग जाना
जले चाँद सितारे जिन बातों से
सुन जा वही अफ़साना
ओ हो
ओ निगाहें मस्ताना
देख समाँ है सुहाना
तीर दिल पे चला के
हाँ, ज़रा झुक जाना
ओ हो,
ओ निगाहें मस्ताना
बस्ती के दियों को बुझ जाने दे
लहरा के न रुक रुक जाना
चाहत का लबों पे नाम आने दे
यही प्यार का है ज़माना
बस्ती के दियों को बुझ जाने दे
लहरा के न रुक रुक जाना
चाहत का लबों पे नाम आने दे
यही प्यार का है ज़माना
ओ हो
ओ निगाहें मस्ताना
देख समाँ है सुहाना
तीर दिल पे चला के
हाँ, ज़रा झुक जाना
ओ हो,
ओ निगाहें मस्ताना
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