जुल्फों को आप यूँ ना-चन्दन का पलना १९६७
के लिए मिले। रफ़ी की आवाज़ धीरे धीरे उनके पसंदीदा हो गयी।
ये बात और है कि सन ७० के बाद वे किशोर कुमार के गीत ज्यादा
गाते नज़र आये। लेकिन ६० के दशक में वे रफ़ी के गीत ही परदे पर
गाते दिखे । ये एक फिल्म है सन १९६७ की -चन्दन का पलना जो
महमूद की फिल्म है। इसमें धर्मेन्द्र के साथ मीना कुमारी प्रमुख
भूमिकाओं में हैं। इसके अलावा महमूद और मुमताज़ की जोड़ी है
मनोरंजन के लिए। ६० के दशक के उत्तरार्ध में जो काम रवि और
मदन मोहन कर रहे थे-रफ़ी के लिए रोमांटिक गीत बनाने का,
वही आर दी बर्मन के जिम्मे भी आया जब उनको एक गीत धर्मेन्द्र
के लिए कम्पोज़ करना पड़ा। इस गीत में आपको अलग ही अंदाज़
मिलेगा। जानकार संगीत प्रेमियों के लिए -ऐसा लगेगा कि
तीसरी मंजिल नाम की गाडी पर "आपको प्यार छुपाने की
बुरी आदत है" गाया जा रहा है।
इस गीत को मैंने सर्वप्रथम सन ७५ के आसपास सुना था।
उसके बाद शायद इसको सुनने का मौका मिला सन ८२ में एक रफ़ी
के भक्त के संग्रह से । आप भी इसका आनंद उठाइए , ये एक युगल
गीत है जिसमे रफ़ी का साथ दिया है आशा भोंसले ने। ये एक नवाबी
गीत है जिसमे जगह जगह "आप" शब्द का उपयोग किया गया है।
आशा भोंसले का "एक पैगिया " अंदाज़ के क्या कहने।
गीत के बोल:
जुल्फों को आप यूं ना, संवारा करो
जुल्फों को, आप यूं ना, संवारा करो
इश्क वरना किसी दिन बहक जायेगा
नज़रों से, आप यूं ना इशारा करो
हुस्न वरना किसी दिन, बहक जायेगा
नज़रों से, आप यूं ना इशारा करो
जहाँ भी जब भी, नज़र आते हो
ग़ज़ब करते हो, सितम ढाते हो
तो कौन कहता है, के आप छुप छुप के, नज़ारा करो
तो कौन कहता है, के आप छुप छुप के, नज़ारा करो
जुल्फों को, आप, यूं ना संवारा करो
इश्क वरना किसी दिन, बहक जायेगा
नज़रों से, आप यूं ना इशारा करो
आ आ, आ आ, आ
तुम्हारे लिए तो मुहब्बत होगी
हमारे लिए वो क़यामत होगी
जो प्यार करना है, तो रंज भी ख़ुशी से, गवारा करो
जो प्यार करना है, तो रंज भी ख़ुशी से, गवारा करो
नज़रों से आप यूं ना इशारा करो
हुस्न वरना किसी दिन बहक जायेगा
जुल्फों को आप यूं ना संवारा करो
ये हालत देखो हुई जाती है
ना चैन आता है हाय ना नींद आती है
जो हाल है हमारा वो हाल ना हमारा खुदा ना करो
जो हाल है हमारा वो हाल ना हमारा खुदा ना करो
जुल्फों को आप यूं ना संवारा करो
इश्क वरना किसी दिन बहक जायेगा
नज़रों से आप यूं ना इशारा करो
हुस्न वरना किसी दिन बहक जायेगा
जुल्फों को आप यूं ना संवारा करो
0 comments:
Post a Comment