ओ शमा मुझे फूँक दे-आशिक १९६२
फिल्म आशिक(१९६२) के ३ मधुर गीत आपको सुनवा चुके हैं-
लता का गाया एक गीत झनन झनझना के अपनी पायल,
मुकेश के गाये दो गीत - ये तो कहो कौन हो तुम, और
तुम जो हमारे मीत ना होते । हर एक गीत इस फिल्म का
नायाब है। आइये अब चौथा गीत सुना जाये जो कि एक
युगल गीत है मुकेश और लता की आवाज़ में। इसे लिखा
है शैलेन्द्र ने और अलबेले बैले नृत्य जैसे कुछ-कुछ मसाले
पर नाचने वाले कलाकारों के नाम अगर आपको मालूम हो
तो बतलाएं। गौरतलब है फिल्म की नायिका पद्मिनी आपको
नाचती दिखाई दे जाएँगी भीड़ के बीच में। खुशनुमा अंदाज़
से गीत दर्दीला गीत बन जाता है। पुराने ओर्केस्ट्रा कार्यक्रमों
में इस गीत को कई बार सुना है। गाने का ध्वनि संयोजन ही
ऐसा है कि ओर्केस्ट्रा वाले इसको अपने कार्यक्रमों में शामिल
करना पसंद करते।
गीत के बोल:
ओ शमा मुझे फूंक दे
मैं न मैं रहूँ, तू न तू रहे
यही इश्क़ का है दस्तूर
यही इश्क़ का है दस्तूर
परवाने जा है अजब चलन
यहाँ जीते जी अपना मिलन
क़िस्मत को नहीं मंजूर
क़िस्मत को नहीं मंजूर
शाम से लेकर रोज़ सहर तक
तेरे लिए मैं सारी रात जली
मैने तो हाय ये भी न जाना
कब दिन डूबा कब रात ढली
फिर भी हैं मिलने से मजबूर
फिर भी हैं मिलने से मजबूर
ओ शमा मुझे फूंक दे
मैं न मैं रहूँ, तू न तू रहे
यही इश्क़ का है दस्तूर
यही इश्क़ का है दस्तूर
पत्थर दिल हैं ये जगवाले
जाने न कोई मेरे दिल की जलन
पत्थर दिल हैं ये जगवाले
जाने न कोई मेरे दिल की जलन
जब से है जनमी प्यार की दुनिया
तुझको है मेरी मुझे तेरी लगन
तुम बिन ये दुनिया है बेनूर
तुम बिन ये दुनिया है बेनूर
परवाने जा है अजब चलन
यहाँ जीते जी अपना मिलन
क़िस्मत को नहीं मंजूर
क़िस्मत को नहीं मंजूर
हाय री क़िस्मत अंधी क़िस्मत
देख सकी ना तेरी-मेरी ख़ुशी
हाय री उल्फ़त बेबस उल्फ़त
रो के थकी जल-जल के मरी
दिल जो मिले किसका था क़सूर
दिल जो मिले किसका था क़सूर
ओ शमा मुझे फूंक दे
मैं न मैं रहूँ, तू न तू रहे
यही इश्क़ का है दस्तूर
यही इश्क़ का है दस्तूर
परवाने जा है अजब चलन
यहाँ जीते जी अपना मिलन
क़िस्मत को नहीं मंजूर
क़िस्मत को नहीं मंजूर
...................................
O shama mujhe phoonk de-Aashiq 1962
0 comments:
Post a Comment