बीती न बिताई रैना-परिचय १९७२
भूपेंद्र और लता मंगेशकर का गाया ये गीत राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त
गीत है. ये राष्ट्रीय पुरस्कार हालाँकि केवल लता मंगेशकर को मिला.
गुलज़ार ने इस गीत में भी कुछ करिश्माई बोल फिट किये हैं-
बुझाई रैना और मनाई रैना. मुझे इस गीत को सुन कर सुरेश रैना
और मोहित रैना की याद भी आ जाती है आजकल, जबसे सुरेश
भारतीय टीम का हिस्सा बने हैं और मोहित सीरियल महादेव के .
गीत गंभीर प्रकृति का है और कर्णप्रिय भी. इसे दो संजीदा कलाकारों
पर फिल्माया गया है-संजीव कुमार और जया भादुड़ी. जया को इस
फिल्म में अपनी प्रतिभा दिखाने के पर्याप्त अवसर मिले. उन्होंने किसी
भी फ्रेम में निराश नहीं किया होगा दर्शकों को, ऐसा मेरा मानना है.
हर गीत सुरों पर ही आधारित होता है. विशेष क्रम में लगे सुरों को
हम राग पर आधारित गीत कहते हैं. इन्टरनेट पर उपलब्ध विवरणों
के अनुसार ये गीत राग खमाज और यमन का मिश्रण है.
आप कुछ भी कह लें, मगर शाश्वत सत्य यही है कि गुलज़ार के बोलों
पर बेहतर धुनें केवल राहुल देव बर्मन ने ही बनाई और बाद में शायद
थोड़ी बहुत रहमान ने. लेकिन जिस निरंतरता और अनूठेपन से पंचम
ने बनाई वो शायद रहमान के लिए भी संभव नहीं. ये अलग बात है कि
आर डी को उत्तम कोटि के गायकों की सेवाएं प्राप्त थीं, रहमान इस
निर्भरता से परे हैं. रहमान किसी भी गायक को लेकर गाना बना सकते
हैं.
गीत के बोल:
बीती न बिताई रैना बिरहा की जाई रैना
भीगी हुयी अंखियों ने लाख बुझाई रैना
बीती हुई बतियाँ कोई दोहराए
भूले हुए नामों से कोई तो बुलाए
चादं चाँद
हो ओ ओ ओ ओ
हो ओ, चाँद की बिंदी वाली, बिंदीवाली रतियां
जागी हुई अखियों में रात ना आयी रैना
बीती न बिताई रैना बिरहा की जाई रैना
बीती न बिताई रैना
युग आते है और युग जाए
छोटी छोटी यादों के पल नहीं जाए
झूठ से काली लागे लागे काली रतिया
रूठी हुई अखियों ने लाख मनाई रैना
बीती न बिताई रैना बिरहा की जाई रैना
बीती न बिताई रैना
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Beeti na bitayi raina-Parichay 1972
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