कोई नहीं है-पत्थर के सनम १९६७
ने लता मंगेशकर के लिए स्पेशल गाने बनाये. इनमें
सी रामचंद्र और अनिल बिश्वास ऐसे हैं जिन्होंने कम
शोर वाले या यूँ कहें कम वाद्य यंत्रों वाली मधुर रचनाएँ
बनाईं. उसके बाद आता है नौशाद, एस डी बर्मन और
मदन मोहन का नाम जिन्होंने कम और ज्यादा संगीत
दोनों तरह की धुनें बनाई लता के गाये गानों के लिए.
शंकर जयकिशन के गीतों में ओर्केस्ट्रा लबालब होता था.
अधिकाँश गीतों के शुरू में भारी संगीत होता और बाद में
गीत सिंपल सा सुनाई देता. उनके गीतों में से संगीत
के टुकड़ों का अलग समझ पाना संभव नहीं होता. हम
कई जगह पर सुन चुके हैं और पढ़ चुके हैं कि ६० के
दशक में पदार्पण करने वाली लक्ष्मी प्यारे की जोड़ी भी
शंकर जयकिशन की बड़ी फैन रही है. उन्होंने भी उसी
लबालब संगीत वाली परिपाटी को आगे बढ़ाते हुए जो
गाने बनाये उसमें पूरे गानों में संगीत लबालब नज़र
आने लगा.
सुनते हैं मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा और लक्ष्मी प्यारे
द्वारा संगीतबद्ध गीत लाता मंगेशकर की आवाज़ में.
गीत के बोल:
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार
हो ओ ओ कोई नहीं हैं फिर भी हैं मुझको
क्या जाने किस का इंतज़ार
हो ओ ओ ये भी ना जानूं लहरा के आँचल
किसको बुलाये बार बार
सोचूँ ये हैं उंगलियाँ किसके प्यार की
गालों को छुए जो डाली बहार की
छुये जो डाली बहार की
सोचूँ ये हैं उंगलिया किसके प्यार की
गालों को छुए जो डाली बहार की
कौन है ए हवा ए बहार
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार
क्या जाने किसका इंतज़ार
पानी में छबि मैं देखूं खड़ी खड़ी
बालों में सजा के कलियाँ बड़ी बड़ी
सजा के कलियाँ बड़ी बड़ी हो ओ ओ ओ ओ
पानी में छबि मैं देखूं खड़ी खड़ी
फिर बनूँ आप ही बेकरार
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार
क्या जाने किसका इंतज़ार
वादी में निशान मेरे ही पांव के
फूलों पे हैं रंग मेरी ही छांव के
हैं रंग मेरी ही छांव के हो ओ ओ ओ ओ
वादी में निशान मेरे ही पांव के
फिर भी क्यूँ आये ना ऐतबार
कोई नहीं है फिर भी है मुझको
क्या जाने किसका इंतज़ार
हो ओ ओ ओ ओ ये भी ना जानूं लहरा के आँचल
किसको बुलाये बार बार
क्या जाने किसका इंतज़ार
क्या जाने किसका इंतज़ार
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Koi nahin hai-Patthar ke sanam 1967
Artist: Waheeda Rehman

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