May 1, 2009

काली पलक तेरी गोरी-दो चोर १९७२

फिल्म दो चोर से एक मधुर युगल गीत। नयी पीड़ी के
दर्शकों की बल्ले बल्ले। फिल्मों में नायक पहले भी अपने
कसरती बदन का प्रदर्शन करते थे, धर्मेन्द्र उनमे से
एक प्रमुख कलाकार हैं। बहुत कम गीत ऐसे मिलेंगे
जिसमे नायक और नायिका की सेहत दुरुस्त मिले। इस
गीत में हीरो हिरोइन दोनों सेहतमंद हैं। पं. शिव कुमार शर्मा
का बजाय गया संतूर इस गीत की विशेषता है।



गीत के बोल:

हे हे ,हूँ हूँ
हूँ हूँ

काली पलक तेरी गोरी, खुलने लगी है थोड़ी-थोड़ी
एक चोरनी एक चोर के घर करने चली है चोरी, हो चोरी


काली पलक पिया मोरी, खुलने लगी है थोड़ी-थोड़ी
एक चोरनी एक चोर के घर करने चली है चोरी, हो चोरी
काली पलक पिया मोरी

आएगी बाँध के पायल, तू होंठ दबाए, बदन को चुराए
नाज़ुक क़मर से लगाए, अदा की कटारी ज़ालिमाँ
फेरेगी धीरे-धीरे, तू मेरे गले पर, ये बाँहों के ख़ंज़र
जाएगी दिल मेरा लेकर, समझ के अनाड़ी बालमा
रोज़ रात को यूँ ही बाँधेगी लटों की डोरी, हो डोरी

काली पलक तेरी गोरी

न तो मैं डोर से बाँधूं, ना जाल बिछाऊँ, न तीर चलाऊँ
नाज़ुक क़मर से लगाऊँ, छुरी न कटारी साजना, ओ सजना
मैं तो तेरा दिल लूँगी, तुझसे छुपा के, नज़र को बचा के
अरे यूँ ही ज़रा मुस्करा के, कहूँगी अनाड़ी साजना,
रोज़ रात को तेरे घर होगी तेरी चोरी, हो चोरी

काली पलक पिया मोरी खुलने लगी है थोड़ी-थोड़ी
एक चोरनी एक चोर के घर करने चली है चोरी, हो चोरी
काली पलक तेरी गोरी

अच्छी हुई मेरी चोरी, के एक दिल खोया, तो एक दिल पाया
ऐसे कोई पास आया, कि आ गया लुटने का मज़ा
अच्छी तेरी मेरी जोड़ी, के लुट गए दोनों, तो बस गए दोनों
हँस के लिपट गए दोनों, हुआ जब वादा प्यार का
रोज़ रात को मिलेंगे, चंदा और चकोरी, ओ चकोरी

काली पलक तेरी गोरी खुलने लगी है थोड़ी-थोड़ी
एक चोरनी एक चोर के घर करने चली है चोरी

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