Nov 22, 2010

तेरे हाथों में पहना के चूड़ियाँ -जानी दुश्मन १९७९

एक सुपर डुपर हिट गीत सुना जाए। आप सोच रहे होंगे किसी
काली पीली फिल्म से होगा। नहीं जी, ये तो रंगीन युग वाला है जी।
शादी स्पेशल युग(९० का दशक) के बहुत पहले बना हुआ है जी ये तो।
१९७९ की फिल्म जानी दुश्मन में ये गीत है। सुनते ही आपको याद
आएगा की इसको खूब बजते सुना था जगह जगह। दूरदर्शन के
चित्रहार पर भी इसे खूब देखा गया था। उस समय एक ही तो गीत वाला
कार्यक्रम हुआ करता था-चित्रहार। उसेक अलावा विडियो गीत देखने का
कोई जरिया नहीं हुआ करता था। गीत अच्छी खासी कसरत करवा देता
है, सितारों की भीड़ जो है इसमें। राज कुमार कोहली निर्देशित फिल्म
में काफी भव्य सेट इस्तेमाल किये गए थे। इस गीत के फिल्मांकन में
सबसे ज्यादा व्यय हुआ होगा। इस गीत में 'जम्पिंग जैक' साहब ने जो
वस्त्र पहन रखे हैं उनकी नक़ल काफी देखने को मिली थी फिल्म के
रिलीज़ के कुछ समय बाद। एक बात तो तय है कि इस गीत में जीतू
भाई ने अपनी ट्रेड मार्क जम्पिंग बहुत कम की है ।

गीत में आपको जो कलाकार दिखाई देंगे उनके नाम इस प्रकार से हैं-
जीतेंद्र, नीतू सिंह, बिंदिया गोस्वामी, और सारिका।



गीत के बोल:

तेरे हाथों में पहना के चूड़ियाँ, ओ चूड़ियाँ
हाथों में पहना के चूड़ियाँ
ओ तेरे हाथों में पहना के चूड़ियाँ
के मौज बंजारा ले गया, हाय
के मौज बंजारा ले गया, ले गया

तेरे हाथों में पहना के चूड़ियाँ

तूने दिल तक तो मेरा ले लिया, ओ ले लिया
दिल तक तो मेरा ले लिया
तूने दिल तक तो मेरा ले लिया
के वो क्या बेचारा ले गया, हाय
के वो क्या बेचारा ले गया, ले गया
तूने दिल तक तो मेरा ले लिया

मेरे सामने ही कोई बेगाना
मेरे सामने ही कोई बेगाना
के रूप का नज़ारा ले गया, हाय
के रूप का नज़ारा ले गया ले गया

तू जलता है क्यों रे दीवाने
दीवाने,
तू जलता है क्यों रे दीवाने
के वो क्या तुम्हारा ले गया, हाय
के वो क्या तुम्हारा ले गया, ले गया

तेरे हाथों में पहना के चूड़ियाँ

हो, इसे मेरे ही तू नाम लगा दे
इसे मेरे ही तू नाम लगा दे
जवानी तेरे किस काम की
इसे मेरे ही तू नाम लगा दे
जवानी तेरे किस काम की

दिल लेगा मेरा कोई दिलवाला
दिल लेगा मेरा कोई दिलवाला
ये बात नहीं तेरे बस की, बस की
आज हुस्न का जलवा दे-दे
आज हुस्न का जलवा दे-दे
तो कल से मैं तौबा कर लूं हाय
तो कल से मैं तौबा कर लूं, कर लूं
आज हुस्न का जलवा दे-दे
साल सत्रह संभाला इसे मैंने
ओ मैंने
साल सत्रह संभाला इसे मैंने
रे ऐसे कैसे तुझे सौंप दूं, हाय
ऐसे कैसे तुझे सौंप दूं , सौंप दूं

तेरे हाथों में पहना के चूड़ियाँ

तेरे होंठों से लिपट जाऊं सजनी
मैं सुर्खी का रंग बन के हाय
तेरे होंठों से लिपट जाऊं सजनी
मैं सुर्खी का रंग बन के
तेरे जैसे कई
तेरे जैसे कई लुट गए कुंवारे
पायल मेरी जब छनके जब छनके,
जब छनके
गोरा रंग ना किसी का होवे
गोरा रंग ना किसी का होवे
के सारा जग बैरी हो जाए
सारा जग बैरी हो जाए, हो जाए
सारे जग से निपट लूं अकेली, अकेली
सारे जग से निपट लूं अकेली
के पहले तू जो मेरा हो जाए, हाय
के पहले तू जो मेरा हो जाए, हो जाए

छोडो झगडे मिला लो दिल को
छोडो झगडे मिला लो दिल को
रहो ना ऐसे तन-तन के, हाय
ना रहो ऐसे तन तन के, तन तन के
तेरे घर में उजाला कर दे
तेरे घर में उजाला कर दे
तू ले जा इसे दूल्हा बन के हाय
तू ले जा इसे दुल्हन बन के
दूल्हा बन के

4 comments:

स्मार्ट अफ्रीकन,  January 11, 2018 at 4:44 PM  

जूते भारी दे दिए होंगे निर्देशक ने इसलिए जैक साहब कम कूदे.

Geetsangeet January 14, 2018 at 10:26 PM  

ऐसा ही लग रहा है. :D

चांदनी सूरी,  January 28, 2018 at 7:48 PM  

जूते तो भारी वाले ही हैं. जीतेंद्र और नीतू सिंह की प्रियतमा फिल्म भी
मुझे पसंद है.

स्मार्ट अफ्रीकन,  May 1, 2018 at 8:23 PM  

प्रियतमा में जीतेंद्र ने ऐसे जूते नहीं पहने.

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