चाहे रहो दूर-दो चोर १९७२
यहाँ तो पूरी फिल्म इस थीम को समर्पित है. चोर चोरनी के
रोल में हैं धर्मेन्द्र और तनूजा. एक रोमांटिक गीत गा रहे हैं
चोर चोरनी. गीत में ‘दूर’ शब्द पर जोर दिया गया है जो थोडा
ध्यान आकर्षित करता है. आइये सुनें लता किशोर का गाया
मजरूह का लिखा और पंचम का संगीत से संवारा युगल गीत.
गीत के बोल:
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास सुन लो मगर एक बात
एक डोर से बांधोगी सनम किसी दिन हमारे साथ
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास सुन लो मगर एक बात
तुम इस गली तो मैं उस गली के आऊँ कभी न हाथ
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास
मेरे पीछे पीछे चले तो हो बाबू पर ज़रा तिरछी है चाल
आशिक बनना जाओ कहीं सीखो तुम अभी दो चार साल
चाहत के काबिल बन जाओ फिर मैं करूंगी
फिर मैं करूंगी बात
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास सुन लो मगर एक बात
एक डोर से बांधोगी सनम किसी दिन हमारे साथ
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास सुन लो मगर एक बात
तुम इस गली तो मैं उस गली के आऊँ कभी न हाथ
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास
ओ मेरी चंचल पवन बसंती करो नहीं यूँ बेकरार
इन बाहों में आना है तुमको आखिर जान-ए-बहार
दिल थामे आओगी फिर मैं पूछूँगा तुमसे
पूछूँगा तुमसे बात
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास सुन लो मगर एक बात
एक डोर से बांधोगी सनम किसी दिन हमारे साथ
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास सुन लो मगर एक बात
तुम इस गली तो मैं उस गली के आऊँ कभी न हाथ
चाहे रहो दूर चाहे रहो पास
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Chahe raho door-Do chor 1972
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