Showing posts with label Basera. Show all posts
Showing posts with label Basera. Show all posts

Jan 9, 2020

सांवरे सुनाओ बांसुरी-बसेरा १९८१

फ़िल्मी भजन प्रस्तुत है फिल्म बसेरा से. सुन्दर भजन
है. गुलज़ार इसके रचयिता हैं!! आर डी बर्मन धुन
तैयार करने वाले. गायिका को आप पहचानते हैं.

वीडियो में सांवरे के दर्शन कम और भक्त-भक्तन के
दर्शन ज्यादा होते हैं. वाह रे निर्देशक. अब निर्देशक
रमेश तलवार हैं तो इस बात की वैलिड वजह भी है.
घूंघट में से नायिका का हेयर-कट दिखना भी ज़रूरी है.

गीत में जो कलाकार आपको दिखलाई देंगे उनके नाम
इस प्रकार से हैं-पूनम ढिल्लो, राजकिरण, एक बच्चा
जो अब जस अरोरा नाम से पहचाना जाता है, रेखा,
शशि कपूर और परदेसी.




गीत के बोल:

साँवरे सुनाओ बांसुरी
साँवरे सुनाओ बांसुरी
वृन्दाबनी राधा बनूँ
दुनिया कहे बांवरी
साँवरे सुनाओ बांसुरी
हो वृन्दाबनी राधा बनूँ
दुनिया कहे बांवरी
साँवरे सुनाओ बांसुरी

अपने आँगन बीज ले
अपने अंग में
अपने रंग में जो सींच ले
हो हो हो अपने आँगन बीज ले
अपने अंग में
अपने रंग में जो सींच ले
ऐसी फलूँ तेरी गली
दुनिया कहे सांवरी

साँवरे सुनाओ बांसुरी
हो वृन्दाबनी राधा बनूँ
दुनिया कहे बांवरी
साँवरे सुनाओ बांसुरी

तेरे मंदिर दीप में
तू जो भर दे अपनी ज्योति
इस सीप में
हो हो हो तेरे मंदिर दीप में
तू जो भर दे अपनी ज्योति
इस सीप में
तेरे चरण ऐसे पडूं
जैसे पड़े सांच्ली

साँवरे सुनाओ बांसुरी
हो वृन्दाबनी राधा बनूँ
दुनिया कहे बांवरी
साँवरे सुनाओ बांसुरी
………………………………………..
Sanwre sunao bansuri-Basera 1981

Artist: Poonam Dhillon

Read more...

May 15, 2018

तुम्हें छोड़ के-बसेरा १९८१

सुनते हैं फिल्म बसेरा से एक युगल गीत जो फिल्म के टाइटल्स
पर फिल्माया गया है.

कुछ विचित्र सा संगीत है इसमें शुरू में जो ऐसा लगता है मानो
अगली शताब्दी में आने वाली किसी मोटर-साइकिल की ध्वनि
हो. गीत मधुर है इसलिए इसे चुप चाप सुन लेते हैं बिना ज्यादा
दिमाग खपाए.

किशोर कुमार और आशा भोंसले की आवाजें हैं. गुलज़ार के बोल हैं
और आर डी बर्मन का संगीत. सिंपल से गाने में भी चाँद पर बसने
की ख्वाहिश ज़ाहिर कर दी गयी है.




गीत के बोल:

तुम्हें छोड़ के हो अब जीने को जी तो नहीं
तुम्हें छोड़ के हो मर जाने को जी करता है
हो ओ ओ तुम्हारे बिना जीना मरना क्या
तुम्हें छोड़ के हो अब जीने को जी तो नहीं

तेरे प्यार में दिल जला तो जला
तेरी साँस से जिस्म भी जल गया
तेरे प्यार में दिल जला तो जला
तेरी साँस से जिस्म भी जल गया
तेरे प्यार में जलके बुझना क्या

तुम्हें छोड़ के हो यूँ जीने को जी तो नहीं

ज़मीं पे नहीं हम पुकारो हमें
चाँद हो गये हैं उतारो हमें
ज़मीं पे नहीं हम पुकारो हमें
चाँद हो गये हैं उतारो हमें
तुम जो नहीं चाँद पे बसना क्या

तुम्हें छोड़ के हो अब जीने को जी तो नहीं

आँखों ने कही और ज़ुबाँ हो गई
छोटी सी क़सम दास्ताँ हो गई
आँखों ने कही और ज़ुबाँ हो गई
छोटी सी क़सम दास्ताँ हो गई
कहते हुए दास्ताँ रुकना क्या

तुम्हें छोड़ के हो अब जीने को जी तो नहीं
रू रू रू रू
तुम्हें छोड़ के हो मर जाने को जी करता है
रू रू रू रू
हो तुम्हारे बिना जीना मरना क्या
ऊ ऊ ऊ
तुम्हें छोड़ के हो अब जीने को जी तो नहीं
हो जी तो नहीं
हो जी तो नहीं
हो जी तो नहीं
....................................................
Tumhen chhod ke-Basera 1981

Artists: Rajkiran, Poonam Dhillon

Read more...

May 12, 2018

आऊँगी एक दिन-बसेरा १९८१

कुछ कलाकार ऐसे हैं फिल्म जगत के जिनकी उपस्थिति से
गाने कुछ विशेष बन जाया करते हैं. इनमें से कुछ नाम हैं
राजेश खन्ना और रेखा. पूर्व की पीढ़ी में से एक नाम हम
आपको बतलाये देते हैं-देव आनंद.

आपको फिल्म बसेरा से एक-दो गीत सुनवा चुके हैं. आज
सुनते हैं इसी फिल्म से एक और गीत जो आशा भोंसले की
आवाज़ में है. घरेलू किस्म का गीत है और इसमें आप घर
के तमाम काम काज देख सकते हैं. मनोरंजक गीत है ये.



गीत के बोल:

आ जाऊं
आऊँगी एक दिन आज जाऊं
हो आऊँगी एक दिन आज जाऊं
कहिये अगर अपना पता दे जाऊं
दे जाऊं

एक ही रात में सोचा ना था बदल जाओगे
रात बड़ी ही चिकनी है आज फिसल जाओगे
अरे शायद मुझे पकड़ना पड़े रूक जाऊं
रूक जाऊं

हम भी तो आखिर घर ही के है हमसाये नहीं
आपके माना और भी हैं हम पराये नहीं
अरे जान भी है हाज़िर अभी पान लाऊं
अरे बाबा पान है पान

होश उड़ जाएँ दोनों को जो बहलाना पड़े
एक को खिलाना दूजे को जो नहलाना पड़े
अरे छोटे को तुम बड़े को मैं नहलाऊं
क्यों नहलाऊं
.................................................................
Aaaongi ek din-Basera 1981

Artist: Rekha, Shashi Kapoor, Rakhi, Etc.

Read more...

Apr 12, 2018

जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें-बसेरा १९८१

आपको हमने फिल्म बीबी ओ बीबी का युगल गीत सुनवाया
था. अब सुनते हैं फिल्म बसेरा से लता मंगेशकर का गाया
एक गीत. सन १९८१ की फिल्म है ये भी और इस गीत को
सुन कर आपको लगेगा कि जिस गीत के बारे में हमने पहली
पंक्ति में चर्चा की है और प्रस्तुत गीत एक ही फोर्मेट पर बने
हैं.

फ़िल्मी भाषा में इसको अलग ट्रीटमेंट बोला जाता है. ये कुछ
ऐसा ही है जैसे आप आलू से दम आलू बना लें या आलू प्याज
की सब्जी. आलू अचारी बनायें या आलू का रायता, आलू का
स्वाद ज़रूर आएगा.

बसेरा का ये गीत लाजवाब है और आज भी सुनने में वही
आनंद देता है जो सन १९८१ में दिया करता था. गुलज़ार का
गीत है और आर डी बर्मन का संगीत.





गीत के बोल:

जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी

धुआं धुआं सा रहता है बुझी बुझी सी आँखों में
धुआं धुआं सा रहता है बुझी बुझी सी आँखों में
सुलग रहे हैं गीले आंसू
आग लगाती है बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी

भरा हुआ था दिल शायद छलक गया है सीने में
भरा हुआ था दिल शायद छलक गया है सीने में
बहने लगे हैं सारे शिकवे
बड़ी ग़मगीन है दिल की बातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें

जाने कैसे बीतेंगी ये बरसातें
मांगे हुए दिन हैं मांगी हुई रातें
जाने कैसे बीतेंगी
…………………………………………………………….
Jaane kaise beetengi-Basera 1981

Artist: Rekha

Read more...
© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP