मेरी आवाज़ ही पहचान है-किनारा १९७७
पिछले साल हमने एक दुखद घटना के दिन एक गाना
बारंबार सुना टी वी चैनलों पर. ये था फिल्म किनारा का गीत.
इसे गाने वाले दोनों ही इस दुनिया को अलविदा कह गए.
आज भूपेंद्र भी अपनी आवाज़ की पहचान हमारे लिए
धरोहर की तरह.
धीर गंभीर आवाज़ के धनी भूपेंद्र ने गायकी को अपने आयाम
दिए. खुमारी वाली गायकी शायद ये अपनी तरह की पहली ही
थी. अदनान सामी की गायकी में अल्सयापन ज्यादा है खुमारी
कम.
वर्त्तमान गीत में खुमारी नहीं है मगर एक नशा सा है जो
दिमाग पर चढ़ जाता गई और इसकी यही खूबी इसे कालजयी
गीत बनाती है. गीत के बोल तो खैर अपनी जगह हैं मगर
इसकी धुन नायाब है. इसका संगीत राहुल देव बर्मन ने तैयार
किया है.
गीत के बोल:
नाम गुम जायेगा चेहरा ये बदल जायेगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
वक़्त के सितम कम हसीं नहीं
आज हैं यहाँ कल कहीं नहीं
वक़्त से भरे अगर मिल गये कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
जो गुज़र गई कल की बात थी
उम्र तो नहीं एक रात थी
रात का सिला अगर फिर मिले कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
दिन ढले जहाँ रात पास हो
ज़िंदगी की लौ ऊँची कर चलो
याद आये गर कभी जी उदास हो
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
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Naam Gum Jayega-Kinara 1977
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