Mar 16, 2024

मेरी आवाज़ ही पहचान है-किनारा १९७७

पिछले साल हमने एक दुखद घटना के दिन एक गाना 

बारंबार सुना टी वी चैनलों पर. ये था फिल्म किनारा का गीत.

इसे गाने वाले दोनों ही इस दुनिया को अलविदा कह गए. 

आज भूपेंद्र भी अपनी आवाज़ की पहचान हमारे लिए 

धरोहर की तरह.

 

धीर गंभीर आवाज़ के धनी भूपेंद्र ने गायकी को अपने आयाम 

दिए. खुमारी वाली गायकी  शायद ये अपनी तरह की पहली ही

थी. अदनान सामी की गायकी में अल्सयापन ज्यादा है खुमारी

कम.

वर्त्तमान गीत में खुमारी नहीं है मगर एक नशा सा है जो 

दिमाग पर चढ़ जाता गई और इसकी यही खूबी इसे कालजयी

गीत बनाती है. गीत के बोल तो खैर अपनी जगह हैं मगर 

इसकी धुन नायाब है. इसका संगीत राहुल देव बर्मन ने तैयार

किया है.

 

 



गीत के बोल:

नाम गुम जायेगा चेहरा ये बदल जायेगा
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे

वक़्त के सितम कम हसीं नहीं
आज हैं यहाँ कल कहीं नहीं
वक़्त से भरे अगर मिल गये कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे

जो गुज़र गई कल की बात थी
उम्र तो नहीं एक रात थी
रात का सिला अगर फिर मिले कहीं
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे

दिन ढले जहाँ रात पास हो
ज़िंदगी की लौ ऊँची कर चलो
याद आये गर कभी जी उदास हो
मेरी आवाज़ ही पहचान है
गर याद रहे
.......................................................................

Naam Gum Jayega-Kinara 1977

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May 23, 2021

ये है सनमखाना-धरतीपुत्र १९९३

कुछ शब्द जो प्रकृति से जुड़े हैं, सदा से हमें आकर्षित करते आये हैं.
पक्षियों के नाम वाले गाने हों या नदी झरने के विवरण वाले, स्मृति
पटल पर अपनी छाप अवश्य छोड़ते हैं.

पॉपुलर संगीत अपने चरम पर होता है जब उसमें ऐसे शब्द और
कैची किस्म की धुन का मिश्रण हो.

फ फ़िल्म धरतीपुत्र दक्षिण के स्टार मैमूटी की हिंदी में पहली फिल्म
थ थी. साथ में उनके जया प्रदा बतौर नायिका हैं.

फिल्म धरतीपुत्र के कुछ गीत आप सुन चुके हैं. अब सुनते हैं
कुछ अनयूज़ुअल शब्द वाला गीत. आपने बावर्चीखाना, पा...
ख खाना-खज़ाना जैसे शब्द सुने होंगे, मगर इसमें प्रयोग कुछ
अलग सा है.




गीत के बोल:

हर किसी का यहाँ पे है आना जाना
हर किसी का यहाँ पे है आना जाना
ये है सनमखाना
ये है सनमखाना
......................................................................
Ye hai sanamkhana-Dharti putra 1993

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May 22, 2021

बम बबम बाबी-घर एक मंदिर १९८४

बम बम बबम और भुर्र. इन शब्दों का मेल आपको 
किशोर कुमार के गीतों में ही मिल सकता है. अब आप इस
पोस्ट  कोपढ़ के कुमार सानू के गीतों में इसे ना ढूँढने ना लग 
जाएँ.
 
हम तो इसको बॉबी के एक अलग वर्ज़न की तरह सुनते हैं.
गीत का वीडियो एक महाकंजूस कंपनी के पास है जो
एक दिन अपने साथ सारे गीतों के वीडियो ले के एक दिन 
भैंस कीतरह पोखर में उतर कर गुम हो जायेगी.  इसका 
केवल ऑडियो ही उपलब्ध है, इसी से काम चला लें.

इतना बतलाये देते हैं कि इसे मिथुन गा रहे हैं परदे पर और
गीत निकला है आनंद बक्षी की कलम से.


गीत के बोल:

ज़रूरत हो तो बतलायें, हम यहाँ

चिपका देंगे
...................................................................

Bam babam bobby-Ghar ek mandir 1984


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